पुणे के चंदन नगर इलाके में सेना के पूर्व जवान हकीमुद्दीन शेख के परिवार को आधी रात को अपनी भारतीय नागरिकता के दस्तावेज दिखाने पड़े। परिवार का आरोप है कि शनिवार देर रात 30 से 40 अज्ञात लोग, पुलिस के साथ मिलकर, उनके घर में घुसे और नागरिकता साबित करने को कहा। इस दौरान पुरुष सदस्यों को थाने भी ले जाया गया। हकीमुद्दीन शेख ने बताया कि उन्होंने करगिल युद्ध में देश के लिए सेवा दी है और अब उनके परिवार को नागरिक साबित करना पड़ रहा है, जो बेहद शर्मनाक है।
पूर्व जवान के परिवार का आरोप
परिवार के सदस्यों का आरोप है कि दस्तावेज न दिखाने पर उन्हें बांग्लादेशी या रोहिंग्या घोषित करने की धमकी दी गई। भतीजे नौशाद और नवाब शेख ने बताया कि आधार कार्ड जैसे वैध दस्तावेज दिखाने पर भी उन्हें नकली बताया गया। महिलाओं को रात में उठाकर चिल्लाया गया और धमकाया गया। शेख परिवार का कहना है कि वे 1960 से पुणे में रह रहे हैं, और कई सदस्य सेना में भी सेवा दे चुके हैं। फिर भी उनके साथ इस तरह का व्यवहार किया गया।
परिवार के एक और सदस्य शमशाद शेख ने बताया कि रविवार को उन्हें दोबारा थाने बुलाया गया, जहां दो घंटे इंतजार करवाने के बाद कहा गया कि इंस्पेक्टर नहीं आएंगे। उनके दस्तावेज अब भी पुलिस के पास हैं। परिवार ने सवाल उठाया है कि जब सेना में सेवा देने वाले नागरिकों को भी शक की नजर से देखा जा सकता है, तो आम नागरिकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी।
इस मामले पर पुलिस ने सफाई दी
इस मामले पर पुलिस ने सफाई दी है। डीसीपी सोमय मुंडे ने कहा कि उन्हें कुछ संदिग्ध लोगों की सूचना मिली थी, जिस आधार पर दस्तावेज मांगे गए। जैसे ही यह साफ हुआ कि वे भारतीय नागरिक हैं, उन्हें छोड़ दिया गया। उन्होंने तीसरे पक्ष की मौजूदगी से इनकार किया और कहा कि उनके पास इसका वीडियो फुटेज है। पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि जांच जारी है और अगर किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई जाती है, तो कार्रवाई की जाएगी।





