रायगढ़ जिले के खारघर क्षेत्र को पूरी तरह शराबमुक्त बनाने की दिशा में प्रशासन ने औपचारिक प्रक्रिया शुरू करने का ऐलान किया है। जिला कलेक्टर किशन जावले ने सोमवार को अलीबाग स्थित कलेक्टर कार्यालय में हुई बैठक में स्थानीय प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि यदि नागरिक नियमानुसार आवेदन करें, तो मतदान कराकर शराबबंदी लागू की जा सकती है। इस बैठक की पहल विधायक प्रशांत ठाकुर ने की थी, जिसमें खारघर संघर्ष समिति, आबकारी विभाग और जिला परिषद के अधिकारी मौजूद थे।
शराबबंदी कैसे होगी लागू?
बैठक में बताया गया कि महाराष्ट्र सरकार के नियमानुसार, यदि किसी क्षेत्र के 25 प्रतिशत पंजीकृत मतदाता शराबबंदी की मांग करते हुए लिखित आवेदन देते हैं, तो प्रशासन को उस क्षेत्र में जनमत संग्रह कराना होगा। अगर बहुमत शराबबंदी के पक्ष में वोट करता है, तो शराबबंदी लागू की जा सकती है। कलेक्टर जावले ने कहा कि प्रशासन पूरी पारदर्शिता के साथ यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए तैयार है और आबकारी विभाग को नागरिक प्रतिनिधियों के साथ सहयोग करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
दुकानों के लाइसेंस रद्द करने की मांग
2007 से सक्रिय खारघर संघर्ष समिति लंबे समय से इस अभियान को चला रही है। समिति की सदस्य तेजस्विनी सालस्कर ने बताया कि पहले सिर्फ एक शराब की दुकान थी जिसे विरोध के चलते छह महीने में सील कर दिया गया था, लेकिन अब फिर से बार और दुकानें खुल गई हैं। समिति की मांग है कि इन दुकानों के लाइसेंस रद्द किए जाएं, क्योंकि ये आवासीय और शैक्षणिक इलाकों के नजदीक हैं, जो स्थानीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
निवासियों ने पिछले एक साल में शांतिपूर्ण मार्च और हस्ताक्षर अभियान के जरिए कई बार विरोध जताया है। शिवसेना (यूबीटी) की नेता लीना गरद ने कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह गैर-राजनीतिक है और सामुदायिक सुरक्षा से जुड़ा है। जिला प्रशासन की तत्परता के बाद अब जिम्मेदारी नागरिकों की है कि वे नियमानुसार आवेदन देकर बदलाव की पहल करें। यह उदाहरण बन सकता है कि नागरिक सक्रियता कैसे प्रशासनिक सहयोग से बदलाव ला सकती है।





