गणेशोत्सव के दौरान मुंबई के सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक गणपति मंडलों में से एक लालबागचा राजा का विसर्जन इस बार परंपरा से हटकर हुआ। हर साल अनंत चतुर्दशी के अगले दिन सुबह 9 बजे तक गणपति का विसर्जन अरब सागर में कर दिया जाता है, लेकिन इस बार करीब 12 घंटे की देरी के बाद रविवार रात 9 बजे प्रतिमा का विसर्जन हो पाया। इस अप्रत्याशित देरी ने भक्तों और आयोजकों दोनों को हैरान कर दिया और शहरभर में चर्चा का विषय बना दिया। सवाल उठने लगे कि आखिर इस बार ऐसा क्या हुआ कि परंपरा टूट गई।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, विसर्जन में देरी का मुख्य कारण अरब सागर में उठ रही ऊंची लहरें यानी हाई टाइड और तकनीकी खराबी थी। लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल के मानद सचिव सुधीर सलवी ने बताया कि जब जुलूस गिरगांव चौपाटी पहुंचा, तब तक समुद्र में हाई टाइड शुरू हो चुकी थी। शनिवार दोपहर 12 बजे लालबाग से निकला 18 फीट ऊंची प्रतिमा का जुलूस रविवार सुबह 8 बजे चौपाटी पहुंचा। लेकिन उसी समय से लहरें ऊंची होनी शुरू हो गईं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, रविवार को सुबह 11:40 बजे 4.42 मीटर ऊंची लहरें उठने की संभावना थी, और हाई टाइड अपने चरम से छह घंटे पहले ही शुरू हो जाती है। इसलिए समुद्र में प्रवेश करना खतरनाक हो गया।
लालबागचा राजा के विसर्जन में हुई देरी
तकनीकी कारणों ने भी देरी बढ़ाई। आमतौर पर विसर्जन के लिए मशीनी राफ्ट का उपयोग होता है, लेकिन इस बार मंडल ने इलेक्ट्रिक राफ्ट का इस्तेमाल करने का फैसला किया। पानी की गहराई और लहरों की वजह से प्रतिमा को ट्रॉली से राफ्ट पर चढ़ाना कठिन हो गया। प्रतिमा चौपाटी पहुंचने के आठ घंटे बाद, यानी दोपहर 4:45 बजे ही राफ्ट पर लोड हो पाई। इसके बाद भी भक्तों और स्वयंसेवकों को और इंतजार करना पड़ा, क्योंकि विशाल लहरों के बीच राफ्ट पर प्रतिमा को सुरक्षित बांधना और संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण था। आयोजकों के अनुसार, प्रतिमा को आगे ले जाना तब तक संभव नहीं था, जब तक समुद्र में हालात सुरक्षित नहीं हो गए।
आखिरकार लंबी मशक्कत के बाद रविवार रात 9 बजे लालबागचा राजा का विसर्जन किया गया। इस दौरान चौपाटी पर मौजूद भक्तों ने “पुढच्या वर्षी लवकर या” (अगले साल जल्दी आना) के नारे लगाए और भावनाओं से भरे माहौल में बप्पा को विदा किया। हालांकि इस बार की देरी से परंपरा टूटी, लेकिन भक्तों की आस्था और श्रद्धा में कोई कमी नहीं आई। आयोजकों ने सभी स्वयंसेवकों और श्रद्धालुओं का आभार जताया, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में सहयोग देकर इस भव्य विसर्जन को सफल बनाया।





