महाराष्ट्र में प्रस्तावित स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर सियासी माहौल गरम हो गया है। कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग से साफ तौर पर मांग की है कि सभी चुनाव VVPAT मशीनों के जरिए कराए जाएं ताकि मतदाता अपने वोट की पुष्टि कर सकें। कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि पारदर्शी चुनाव लोकतंत्र की बुनियाद हैं और इसमें कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि VVPAT मशीनें संभव नहीं हैं, तो चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएं।
कांग्रेस ने उठाई मतदान के लिए ये मांग
राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे ने VVPAT के इस्तेमाल पर तकनीकी और व्यवस्थागत चुनौतियों का हवाला दिया है। उन्होंने बताया कि स्थानीय निकाय चुनावों में एक मतदाता को चार वोट डालने होते हैं और हर वार्ड में कई उम्मीदवार होते हैं। ऐसे में VVPAT मशीनें इस्तेमाल करने से बूथों पर भीड़ और लंबी कतारें लग सकती हैं, जिससे मतदान प्रक्रिया धीमी और अव्यवस्थित हो सकती है।
वडेट्टीवार ने चुनाव आयोग की इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मतदाताओं का भरोसा सबसे अहम है और यह सुनिश्चित करना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “अगर VVPAT मशीनों का इस्तेमाल नहीं हो सकता, तो बैलेट पेपर का ही सहारा लिया जाए।” उन्होंने यह भी दोहराया कि सिर्फ VVPAT की व्यवस्था ही EVM की विश्वसनीयता को पुख्ता कर सकती है और इससे मतदाता को अपने वोट की पुष्टि का अधिकार मिलता है।
चुनाव आयोग ने यह भी साफ किया है कि लंबे समय से लंबित जिला परिषद, पंचायत समिति, नगर परिषद और नगर निगम के चुनाव दिवाली के बाद चरणबद्ध तरीके से कराए जाएंगे। आयोग फिलहाल तैयारियों में जुटा है। कांग्रेस की इस मांग के बाद विपक्षी दल भी चुनाव में पारदर्शिता की मांग को लेकर सक्रिय हो गए हैं। वहीं, चुनाव आयोग के स्पष्टीकरण के बाद VVPAT और बैलेट पेपर को लेकर बहस तेज हो गई है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आयोग चुनाव प्रक्रिया में मतदाताओं का भरोसा कैसे बनाए रखता है।





