महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन आज चौथे दिन पर पहुंच गया है। मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि कुनबी समाज को ओबीसी कोटे के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। जरांगे का कहना है कि जब तक मराठा समाज को यह आरक्षण नहीं मिलता, वे अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। आंदोलन के चलते राज्य में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है और बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है।
शिंदे-राज ठाकरे आमने-सामने
आंदोलन के तीसरे दिन, 31 अगस्त को उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज ठाकरे पर निशाना साधा। शिंदे ने कहा कि ठाकरे को मराठा आरक्षण पर टिप्पणी करने से पहले पूरी जानकारी लेनी चाहिए थी। सातारा जिले के डेरे गांव में गणेश उत्सव के दौरान पत्रकारों से बातचीत में शिंदे ने कहा कि राज ठाकरे को यह भी समझना चाहिए कि 2014 से 2019 में देवेंद्र फडणवीस सरकार द्वारा दिया गया आरक्षण सुप्रीम कोर्ट ने क्यों रद्द किया, जबकि यह कानून हाई कोर्ट में बरकरार रहा था।
एकनाथ शिंदे ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तब उनकी सरकार ने मराठा समाज को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (SEBC) श्रेणी में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया था। इसके अलावा कुनबी संदर्भों की खोज के लिए समिति भी बनाई गई थी, जिससे मराठा समाज को लाभ मिला। उन्होंने यह दावा किया कि उनकी सरकार ने इस दिशा में ठोस और ऐतिहासिक कदम उठाए थे।
शिंदे को उनके सहयोगी शिवसेना मंत्री उदय सामंत और दादा भुसे का समर्थन भी मिला है। दोनों नेताओं ने कहा कि शिंदे के कार्यकाल में मराठा समाज को 10 प्रतिशत आरक्षण ही नहीं मिला, बल्कि खाली पदों पर नियुक्तियां भी की गईं। उनका कहना था कि शिंदे का योगदान मराठा समाज के लिए ऐतिहासिक है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर, राज ठाकरे ने कहा कि जरांगे का आंदोलन क्यों फिर से भड़का, इसका जवाब शिंदे ही दे सकते हैं, क्योंकि पिछली बार उन्होंने खुद हस्तक्षेप कर मामला सुलझाया था।





