मुंबई के प्रसिद्ध कबूतरखानों को लेकर आज बॉम्बे हाईकोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। अदालत के निर्देश के बाद बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने कबूतरों को दाना डालने पर रोक लगाई थी। अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट आज कोर्ट में पेश की जाएगी। हालांकि यह मामला अब केवल प्रशासनिक नहीं रह गया है, बल्कि इसमें धार्मिक परंपराएं, राजनीतिक बयानबाज़ी और पर्यावरणीय चिंताएं भी जुड़ गई हैं, जिससे विवाद और गहरा गया है।
कबूतरखाना विवाद में हाईकोर्ट की सुनवाई आज
कोर्ट ने दया भाव से कबूतरों को दाना डालने की परंपरा पर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कबूतरों की संख्या असंतुलित रूप से बढ़ रही है, जिससे स्थानीय जैव विविधता पर असर पड़ रहा है। साथ ही, कबूतरों की बीट से इमारतों को नुकसान होता है और वे श्वसन संबंधी कई बीमारियों के वाहक भी हैं। इस आधार पर अदालत ने BMC को कबूतरों को दाना डालने पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था।
कोर्ट के आदेश के बाद BMC ने कबूतरखानों को ढक दिया और कार्रवाई शुरू की। 13 जुलाई से 3 अगस्त के बीच 142 लोगों पर ₹68,700 का जुर्माना लगाया गया। सिर्फ दादर कबूतरखाने में ही 61 लोगों से ₹27,200 की वसूली हुई है। BMC की इस कार्रवाई का जैन समाज ने विरोध किया है। मंगलवार को दादर जैन मंदिर में ‘महापूजा’ आयोजित की गई और चेतावनी दी गई कि अगर कोर्ट से राहत नहीं मिली तो सप्ताहांत में बड़ा आंदोलन होगा।
इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि यह राज्य सरकार का निर्णय नहीं बल्कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन है। वहीं, विपक्ष ने इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कदम बताया है। कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने BMC कमिश्नर को पत्र लिखकर BKC, महालक्ष्मी रेसकोर्स, आरे कॉलोनी और संजय गांधी नेशनल पार्क जैसी जगहों पर वैकल्पिक फीडिंग ज़ोन बनाने की मांग की है, जहां निगरानी में कबूतरों को दाना दिया जा सके।





