मुंबई में कबूतरखानों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। दादर कबूतरखाने को टारपॉलिन और बांस से ढकने के बाद बीते तीन दिन में 918 कबूतरों की मौत हो चुकी है। यह मामला सामने आने के बाद जैन समाज ने विरोध जताया और मुंबई के गार्जियन मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने राज्य सरकार से मुलाकात की। इसके बाद डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने BMC को निर्देश दिया कि वह कबूतरों के लिए वैकल्पिक स्थान तलाशे जहां उन्हें दाना-पानी दिया जा सके। BMC कमिश्नर भूषण गगरानी ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए टारपॉलिन नहीं हटाई जाएगी, लेकिन वैकल्पिक उपायों पर काम होगा।
कबूतरखानों को लेकर बढ़ा विवाद
पिछले महीने राज्य सरकार के निर्देश पर BMC ने 51 कबूतरखानों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू की थी। प्रशासन का तर्क है कि कबूतरों की बीट और पंखों से सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ता है। 3 जुलाई से 3 अगस्त के बीच कबूतरों को दाना डालने पर 250 बार कार्रवाई की गई और कुल 1.24 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया। दादर कबूतरखाने को ढकने के अलावा माहीम पुलिस स्टेशन में FIR भी दर्ज की गई। अब बॉम्बे हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को होनी है, जिसमें BMC को अपना एक्शन प्लान पेश करना होगा।
इस मामले को लेकर नेता और सामाजिक कार्यकर्ता आमने-सामने हैं। विधायक पराग शाह ने कहा कि कबूतर शांति के प्रतीक हैं, और उन्हें भूखा मारना अमानवीय है। उन्होंने सुझाव दिया कि BMC के पास मौजूद जमीनों जैसे सॉल्ट-पैन या कब्जाई गई जगहों पर नए कबूतरखाने बनाए जाएं। वहीं, ऑल इंडिया एनिमल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य एडवोकेट कमलेश शाह ने कहा कि कबूतरों को दाना डालना हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है और सरकार को इसे संरक्षण देना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि CSMT के पास कबूतरों की लाशें उठाई जा रही हैं, लेकिन उनका अंतिम निपटान तय नहीं है।
दूसरी ओर, सामाजिक कार्यकर्ता चेतन कांबले ने इसे चुनाव से पहले की वोट बैंक राजनीति बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि BMC धार्मिक भावनाओं की आड़ में वैज्ञानिक सोच को नजरअंदाज कर रही है। एनसीपी नेता रोहित पवार ने भी दादर जाकर कहा कि यह मामला केवल प्रशासनिक नहीं, धार्मिक और सामाजिक जुड़ाव से भी संबंधित है। उन्होंने कहा कि सरकार के भीतर ही इस मुद्दे पर विरोधाभास है और 200 साल पुराना यह कबूतरखाना जैन और हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।





