मुंबई के माहिम इलाके में पहली बार एक अनजान व्यक्ति के खिलाफ सिर्फ कबूतरों को दाना डालने के कारण मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई बॉम्बे हाईकोर्ट के हालिया आदेश के आधार पर की गई है, जिसमें सार्वजनिक स्थलों और ऐतिहासिक परिसरों में कबूतरों को दाना डालने पर सख्त कार्रवाई की बात कही गई थी। मामला एलजे रोड का है, जहां एक व्यक्ति को अपनी कार से कबूतरों को दाना डालते हुए देखा गया। हालांकि, कार की नंबर प्लेट स्पष्ट न होने के कारण उसकी पहचान नहीं हो सकी। पुलिस ने उस अज्ञात शख्स के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 270 और 223 के तहत केस दर्ज किया है।
मुंबई में पहली बार कबूतरों को दाना डालने पर FIR
पुलिस का कहना है कि यह देश का पहला मामला है जब कबूतरों को दाना डालने पर एफआईआर दर्ज की गई है। अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई इसलिए जरूरी हो गई थी क्योंकि शहर में कबूतरों की आबादी तेजी से बढ़ रही है और इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी और पुलिस को निर्देश दिया है कि ऐसे मामलों में कठोर कदम उठाए जाएं और नियम तोड़ने वालों को दंडित किया जाए।
बीएमसी और पुलिस ने मिलकर दादर के कबूतरखाना स्थल का निरीक्षण किया और फैसला लिया कि अब वहां तीन शिफ्टों में निगरानी अधिकारी तैनात किए जाएंगे। मुंबई में 51 कबूतरखानों की पहचान की गई है, जिन पर अब नियमित निगरानी रखी जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सार्वजनिक स्थलों पर कबूतरों को दाना डालना केवल असुविधा नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है। खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा मरीजों के लिए यह गंभीर समस्या बन सकती है।
30 जुलाई को हाईकोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि कबूतरों के झुंड को दाना डालना अब जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पुराने कबूतरखानों को तोड़ा नहीं जाएगा, लेकिन वहां कबूतरों को दाना डालने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जस्टिस जी.एस. कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए प्रशासन से कानून के पालन को सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि नगर निगम अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी निभाने से रोकना न्यायिक आदेश की अनदेखी है।





