कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर वोट चोरी का मुद्दा उठाते हुए बीजेपी और चुनाव आयोग पर बड़ा हमला बोला है। गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि फर्जी तरीके से मतदाता सूची से नाम हटाए जा रहे हैं और यह सब चुनाव आयोग के संरक्षण में हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि उनके पास इस कथित गड़बड़ी के सबूत हैं। राहुल गांधी ने कहा कि कर्नाटक के आलंद क्षेत्र में 6,018 वोट हटाने की कोशिश हुई थी और इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त ग्यानेश कुमार की भूमिका संदिग्ध है।
राहुल गांधी ने कहा कि उनके पास इस कथित वोटर लिस्ट फर्जीवाड़े का 10% सबूत मौजूद है। उन्होंने चुनाव आयोग पर CID की चिट्ठियों को दो साल से दबाकर रखने का आरोप भी लगाया। राहुल ने कहा कि यह लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ है और आम मतदाताओं के अधिकार छीनने की कोशिश है। हालांकि, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि किसी भी मतदाता का नाम ऑनलाइन हटाना संभव ही नहीं है।
राहुल गांधी का वोट चोरी का आरोप
इस बीच, कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी ने स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि दिसंबर 2022 में आलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाता नाम हटाने के लिए कुल 6,018 ऑनलाइन आवेदन (Form-7) मिले थे। जांच के बाद इनमें से केवल 24 आवेदन सही पाए गए, जबकि बाकी 5,994 आवेदन फर्जी थे। इसलिए सिर्फ 24 नाम ही मतदाता सूची से हटाए गए। आयोग ने कहा कि राहुल गांधी के आरोप निराधार हैं और इस मामले की पूरी तरह जांच की गई है।
राहुल गांधी के आरोपों पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कड़ा पलटवार किया। उन्होंने राहुल गांधी को “सीरियल लायर” बताया और कहा कि उनका तथाकथित “हाइड्रोजन बम” फुसकी साबित हुआ। फडणवीस ने कहा कि राहुल गांधी झूठ बोलने की कला में माहिर हैं और वह नेशनल मीडिया के सामने बड़े आत्मविश्वास के साथ गलत बातें पेश करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह तरीका हिटलर के मंत्री गोएबल्स जैसा है, जो बार-बार झूठ बोलकर उसे सच साबित करने की कोशिश करते थे।
फडणवीस ने आगे कहा कि राहुल गांधी रोज नए झूठ बोलकर संविधान, न्यायपालिका और चुनाव आयोग का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि राहुल को लगता है कि ऐसे झूठे आरोप लगाकर वह बिहार जीत जाएंगे, लेकिन जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़ी है। इस पूरे विवाद के बाद एक बार फिर देश की राजनीति में चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप पर बहस तेज हो गई है।





