महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि मुंबई के दादर स्थित ऐतिहासिक सावरकर सदन को विरासत सूची में शामिल करने के लिए अब मुंबई हेरिटेज कंज़र्वेशन कमेटी (MHCC) से एक नया प्रस्ताव आवश्यक होगा। अतिरिक्त सरकारी वकील प्राची तातके ने एक हलफनामे के माध्यम से अदालत को बताया कि पहले इस इमारत को ग्रेड-IIA विरासत संरचना घोषित करने की सिफारिश की गई थी, लेकिन 2012 में मंत्रालय में लगी आग के कारण संबंधित फाइलें नष्ट हो गईं।
विनायक दामोदर सावरकर का यह पूर्व निवास स्थान कभी हिंदुत्व से जुड़ी गतिविधियों और बैठकों का केंद्र था, लेकिन अब यह इमारत जर्जर अवस्था में है, और उसकी मरम्मत की आवश्यकता है। कुछ रिपोर्ट्स में इसे गिराकर नया निर्माण किए जाने की संभावना जताई गई, जिसे लेकर सावरकर अनुयायियों ने तीव्र विरोध जताया। राज्य सरकार के अनुसार, सभी विभाग सावरकर के योगदान को सम्मानपूर्वक स्वीकार करते हैं, और कानूनी प्रक्रिया के तहत उचित कदम उठाए जाएंगे।
BMC को भेजी गई सूचना, MHCC तैयार कर रही नया प्रस्ताव
सरकार की ओर से बताया गया कि 9 जुलाई को BMC आयुक्त को इस दिशा में सूचित किया गया था, जिसके बाद MHCC ने 22 जुलाई को हुई बैठक में निर्णय लिया कि वह जल्द ही सावरकर सदन को विरासत सूची में शामिल करने के लिए एक नया प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजेगी। इससे पहले भी 2009 में नगर विकास विभाग ने इस भवन को ग्रेड-IIA संरचना घोषित करने की सिफारिश की थी, लेकिन विभागीय पत्राचार और बाद की घटनाओं के चलते मामला अधर में रह गया।
याचिकाकर्ता की आपत्ति, कोर्ट ने मांगा जवाब
इस मामले में याचिकाकर्ता पंकज फडनीस, जो सावरकर के प्रमुख अनुयायी और शोधकर्ता हैं, ने सरकार से सावरकर के उत्तराधिकारियों को मुआवजा देने की स्पष्ट नीति बनाने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने सावरकर सदन को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की भी अपील की है। वहीं, एक बिल्डर ने भी कोर्ट में दावा किया है कि उसने इस संपत्ति का आधा हिस्सा खरीदा है, और विरासत घोषित करने से पहले उसकी बात सुनी जानी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने फडनीस को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद तय की है।





