जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मुंबई में हुए सात बम धमाकों को लेकर सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इन धमाकों के इतने समय बाद भी दोषियों को पकड़ा नहीं जा सका, जो पुलिस और प्रशासन की विफलता को दर्शाता है। शंकराचार्य ने कहा कि आतंकवादी कोई भी हो, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। “आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता,” उन्होंने कहा। भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि यदि कोई भगवा वस्त्र पहनकर आतंक फैलाता है, तो क्या उसकी पूजा की जाएगी?
अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा बयान
शंकराचार्य ने मालेगांव और मुंबई विस्फोटों का जिक्र करते हुए कहा कि जब कोई आतंकी घटना होती है, तो सरकारें और एजेंसियां दोषियों को खोजने के बजाय आतंकवाद का रंग तलाशने लगती हैं। उन्होंने इसे ‘नाकामी छिपाने की राजनीति’ बताया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि किसी की मृत्यु होने पर उसका रंग भी चला जाता है, इसलिए फोटो ब्लैक एंड व्हाइट कर दिया जाता है। ऐसे में आतंकवाद में रंग तलाशना गलत है और यह आतंकवाद के समर्थन जैसा है।
मुंबई के दादर स्थित कबूतरखाने को हटाने के फैसले पर भी शंकराचार्य ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि कबूतर हमारी जीवन परंपरा का हिस्सा हैं, और यदि उन्हें हटाना ही है तो उसके पीछे कारण और प्रक्रिया स्पष्ट होनी चाहिए। बिना सोच-विचार के महानगरपालिका द्वारा लिया गया यह फैसला परंपरा और भावनाओं के विपरीत है। उन्होंने इसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया और पुनर्विचार की मांग की।
अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी कुछ लोग देश के बंटवारे की सोच वाली विचारधारा को बढ़ावा दे रहे हैं। यह राजनीति समाज को तोड़ने का काम कर रही है, जबकि हिंदू समाज एकजुट रहना चाहता है। मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपियों के बरी होने पर उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला सही हो सकता है, लेकिन यह जरूर सोचना होगा कि विस्फोट हुआ था तो दोषी कोई तो होगा। अगर उन्हें पकड़ा नहीं जा सका, तो यह सरकारों की विफलता है।





