राष्ट्रवादी कांग्रेस शरदचंद्र पवार गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार की प्रमुख मौजूदगी में मुंबई के यशवंतराव चव्हाण सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई। इस दौरान पवार ने केंद्रीय चुनाव आयोग के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए और मतदाता सूची में बोगस वोटिंग तथा डुप्लीकेट नामों जैसे बड़े घोटाले का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गहरी चोट पहुंची है और आयोग अपनी स्वतंत्र एवं निष्पक्ष भूमिका निभाने में नाकाम साबित हो रहा है।
चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिरूर-हवेली और हडपसर विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूचियों में गड़बड़ियों के ठोस प्रमाण पेश किए गए। पवार ने बताया कि राज्य के अन्य हिस्सों से भी ऐसी शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया और बिहार से इसकी शुरुआत हुई। उनके अनुसार, बिहार राजनीतिक दृष्टि से हमेशा सजग रहा है और वहां लोकतांत्रिक संघर्ष की परंपरा रही है। पवार ने आगे कहा कि राहुल गांधी के पास ऐसे सबूत हैं, जिनमें एक ही झोपड़ी में 140 से अधिक मतदाताओं के नाम दर्ज पाए गए हैं। उन्होंने साफ किया कि महाराष्ट्र में भी उनकी पार्टी ने मतदाता सूचियों का गहन अध्ययन शुरू कर दिया है और यह मुद्दा लगातार उठाया जाएगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव पर बोलते हुए शरद पवार ने बताया कि विपक्षी दलों ने मिलकर दो-तीन नामों पर चर्चा की थी और सभी का मत एक जैसा था। लेकिन जब सत्ता पक्ष ने उम्मीदवार घोषित किया और मुख्यमंत्री ने समर्थन मांगा, तो उन्होंने मना कर दिया। पवार ने कहा कि वे वैचारिक रूप से अलग हैं और ऐसे में समर्थन संभव नहीं था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि संजय राउत के साथ उनकी चर्चा हुई है और दोनों का मत यही है कि वे अपनी स्वतंत्र राजनीतिक लाइन पर चलेंगे।
इस मौके पर एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने भी चुनाव आयोग और प्रशासन पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि एक ही घर में 18 नाम दर्ज हैं और कई जगह पते के सामने “00” जैसे आंकड़े लिखे हुए हैं। शिकायत करने पर जिलाधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि अब समय नहीं है। पाटिल ने आरोप लगाया कि खुद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी मतदाता सूची में गड़बड़ी स्वीकार की है। ऐसे में सभी विपक्षी दलों को मिलकर चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराना चाहिए। शरद पवार और उनकी टीम के तेवरों से साफ है कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदाता सूची का मुद्दा विपक्ष का बड़ा हथियार बनने वाला है।





