सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें मुंबई महानगरपालिका (BMC) को सार्वजनिक जगहों पर कबूतरों को दाना खिलाने वालों के खिलाफ केस दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय विश्नोई की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि “पैरेलल इंडलजेंस” सही नहीं है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सलाह दी कि यदि वे इस आदेश में बदलाव चाहते हैं, तो उन्हें हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि हाई कोर्ट का यह फैसला ‘प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट’ के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
जैन समुदाय का आंदोलन तेज
बॉम्बे हाई कोर्ट ने BMC के फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि सार्वजनिक स्थानों पर कबूतरों को दाना खिलाने से स्वास्थ्य संबंधी खतरे उत्पन्न हो सकते हैं और इंसानों की सेहत को प्राथमिकता देना जरूरी है। हालांकि, कोर्ट ने पुराने हेरिटेज कबूतरखानों को तोड़ने पर रोक लगा दी, लेकिन वहां दाना खिलाने की इजाजत नहीं दी। 7 अगस्त को हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसने कबूतरखाने बंद करने का आदेश नहीं दिया, बल्कि BMC की कार्रवाई को रोकने से इनकार किया है। कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि कबूतरखानों के भविष्य को लेकर विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जा सकती है।
याचिकाकर्ताओं पल्लवी पाटिल, स्नेहा विसारिया और सविता महाजन ने आरोप लगाया कि BMC ने 3 जुलाई से बिना कानूनी अधिकार के कबूतरों को दाना खिलाने की जगहों को तोड़ना शुरू कर दिया। उनका कहना है कि यह कदम ‘प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट’ का उल्लंघन है और इससे समुदाय की वर्षों पुरानी परंपरा को नज़रअंदाज किया जा रहा है।
इस बैन का विरोध खासकर जैन समुदाय में तेज हो गया है। 6 अगस्त को दादर कबूतरखाने में प्रदर्शनकारियों ने BMC द्वारा लगाए गए तिरपाल हटाकर कबूतरों को दाना खिलाया, जिससे पुलिस से झड़प भी हुई। जैन साधु मुनि निलेशचंद्र विजय ने रविवार को चेतावनी दी कि वे सत्याग्रह और भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने कहा कि जैन समुदाय शांतिप्रिय है, लेकिन जरूरत पड़ी तो धर्म की रक्षा के लिए हथियार भी उठा सकता है। साधु ने दावा किया कि देशभर से 10 लाख से अधिक जैन इस आंदोलन में शामिल होंगे और आरोप लगाया कि यह बैन जैन परंपरा को निशाना बना रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि “जब शराब और मांसाहार से मौतें होती हैं, तो सिर्फ जैन धर्म की परंपरा को क्यों रोका जा रहा है?”





