शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोलते हुए सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग अब सर्वोच्च न्यायालय से भी बड़ा हो गया है और क्या उसके आयुक्त खुद को राष्ट्रपति से भी ऊपर मानने लगे हैं। मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने लोकसभा चुनाव में कथित रूप से हुई मतों की चोरी और बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष अभियान को लेकर गंभीर आरोप लगाए। ठाकरे ने कहा कि जब विपक्ष चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहा है, तो इसमें भाजपा को बीच में आने की क्या ज़रूरत थी। उनके मुताबिक, भाजपा सिर्फ मतों की चोरी को छिपाने के लिए इतनी सक्रिय हो रही है।
उद्धव ठाकरे का चुनाव आयोग पर हमला
ठाकरे ने कहा कि हाल ही में दिल्ली में विपक्षी सांसदों ने चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा निकाला था, जिसमें शामिल सांसदों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इसे उन्होंने लोकतंत्र की हत्या बताया और कहा कि पूरी दुनिया ने यह दृश्य देखा। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव में मतों की चोरी के सबूत राहुल गांधी पहले ही पेश कर चुके हैं और अब यह आशंका है कि स्थानीय निकाय चुनावों में भी ऐसा ही हो सकता है। ठाकरे ने मतदाताओं से अपील की कि वे सतर्क रहें और सुनिश्चित करें कि उनके पते पर किसी अन्य व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में न जुड़ा हो।
एक सवाल के जवाब में ठाकरे ने एनसीपी (शरद पवार गुट) प्रमुख शरद पवार के उस बयान का ज़िक्र किया, जिसमें पवार ने कहा था कि विधानसभा चुनाव में 160 सीटें दिलाने का दावा करने वाले लोग उनसे मिले थे। ठाकरे ने बताया कि ऐसे लोग उनसे पहले भी कई चुनावों के समय मिल चुके हैं, लेकिन उन्होंने कभी इन बातों पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि वे ईमानदारी से चुनाव जीतने में विश्वास रखते हैं। हालांकि, उन्होंने हंसते हुए कहा कि अब शायद उनसे मिलना चाहिए, क्योंकि अब उन्हें मिलने में दिलचस्पी है।
प्रेस वार्ता में ठाकरे ने एक पुराना किस्सा भी साझा किया, जिसमें भाजपा के एक नेता ने उन्हें और उनकी टीम को ईवीएम हैक करने का डेमो दिखाया था, जब शिवसेना की भाजपा के साथ गठबंधन थी। पत्रकारों ने उस नेता का नाम पूछने पर ठाकरे ने कहा कि वह आज भी भाजपा में है, लेकिन अब सिर्फ सदस्य है, नेता नहीं। बिहार के मामले पर बोलते हुए ठाकरे ने बताया कि विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने 65 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटाए हैं और सुप्रीम कोर्ट में यह कहने से इनकार किया है कि ये नाम किनके हैं। उन्होंने दोहराया कि यह रवैया लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए खतरनाक है।





