महाराष्ट्र की राजनीति में एक और हलचल देखने को मिली है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के उपनेता और नवी मुंबई के पूर्व नगरसेवक विठ्ठल मोरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि वे किसी अन्य पार्टी में नहीं जा रहे हैं, लेकिन माजी सांसद राजन विचारे की मनमानी और पक्ष में लगातार हो रहे अन्याय के कारण यह कदम उठाया है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे खुद को शिवसैनिक ही मानते रहेंगे और अंतिम फैसला उद्धव ठाकरे पर छोड़ते हैं।
विठ्ठल मोरे ने दिया इस्तीफा
विठ्ठल मोरे ने अपने त्यागपत्र में लिखा है कि बेलापुर शहराध्यक्ष पद के लिए उन्होंने पांच नामों की सिफारिश की थी, लेकिन किसी नाम पर विचार नहीं किया गया। उल्टा, राजन विचारे ने अपने पसंदीदा व्यक्ति की नियुक्ति बिना वरिष्ठ नेताओं को बताए कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि जिलाध्यक्ष और अन्य पदों की नियुक्तियां भी मनमर्जी से की गईं, जिससे निष्ठावान कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई और पार्टी को नुकसान पहुंचा।
मोरे ने अपने पत्र में यह भी दावा किया कि एकनाथ शिंदे के गुट में न जाने के कारण उनके होटल पर रात 3 बजे छापे मारे गए थे। बावजूद इसके उन्होंने पार्टी से निष्ठा नहीं छोड़ी। लेकिन अब राजन विचारे खुद नवी मुंबई में पार्टी को खत्म करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “जो काम शिंदे नहीं कर सके, वह अब विचारे कर रहे हैं।” मोरे ने यह भी कहा कि जब विचारे कार्यक्रमों में तीन-चार घंटे देरी से आते थे और लोग नाराज होते थे, तब भी उन्होंने संगठन को संभाले रखा।
मोरे ने अपने इस्तीफे में यह भी कहा कि जब शिंदे गुट अलग हुआ था तब राजन विचारे उद्धव ठाकरे के साथ खड़े रहे थे, लेकिन अब वही नेता पार्टी नेतृत्व के विश्वास का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने इस्तीफा उद्धव ठाकरे को सौंपा है और कहा है कि जो भी फैसला ठाकरे लेंगे, वह उन्हें स्वीकार होगा। अब देखना होगा कि विठ्ठल मोरे का अगला कदम क्या होता है।





