उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी’ को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। कोर्ट ने कहा कि वह खुद यह फिल्म देखेगा और फिर फैसला सुनाएगा। फिल्म निर्माताओं ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) द्वारा प्रमाणन से इनकार किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। कोर्ट ने साफ किया है कि फिल्म देखने के बाद ही इस याचिका पर आदेश दिया जाएगा। यह फिल्म किताब ‘द मोंक हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ से प्रेरित बताई जाती है।
बॉम्बे हाईकोर्ट सोमवार को सुनाएगा आदेश
गुरुवार को जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने निर्देश दिया कि फिल्म निर्माता कोर्ट में फिल्म की प्रति जमा करें। इसमें वे सभी दृश्य स्पष्ट रूप से अंकित हों, जिन पर CBFC ने आपत्तियां जताई हैं। किताब की प्रति पहले ही कोर्ट को दी जा चुकी है। दरअसल, 7 अगस्त को कोर्ट ने CBFC को फिल्म देखने और 11 अगस्त तक अपनी आपत्तियां साझा करने को कहा था ताकि आवश्यक बदलाव हो सकें। लेकिन विवाद तब गहराया जब सेंसर बोर्ड ने अंततः फिल्म को प्रमाणित करने से इनकार कर दिया।
CBFC की एग्जामिनिंग कमेटी ने फिल्म पर 29 आपत्तियां जताई थीं। हालांकि बाद में रिवाइजिंग कमेटी ने 8 आपत्तियां हटा दीं, लेकिन बाकी मुद्दों को लेकर 17 अगस्त को फिल्म को प्रमाणन देने से मना कर दिया। इसके बाद फिल्म निर्माताओं ने कोर्ट में याचिका दायर कर इस निर्णय को चुनौती दी। उनकी दलील है कि CBFC ने प्रक्रिया के दौरान उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया और यहां तक कि फिल्म रिलीज से पहले योगी आदित्यनाथ से NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लेने का निर्देश देकर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया।
CBFC की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पूरी प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय का पालन किया गया है और फिल्म निर्माता सिनेमैटोग्राफ एक्ट के तहत अपील कर सकते हैं। लेकिन कोर्ट ने सेंसर बोर्ड की आलोचना की और कहा कि शुरुआत से ही प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय होना चाहिए था, जो इस मामले में नहीं हुआ। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वैकल्पिक उपाय मौजूद होने के बावजूद रिट अधिकार क्षेत्र को नकारा नहीं जा सकता। अब कोर्ट 25 अगस्त को अगली सुनवाई करेगा और सोमवार को फिल्म देखकर आदेश सुनाएगा।





