निशा बांगरे का आरोप, बीजेपी से चुनाव लड़ती तो एक दिन में हो जाता इस्तीफा मंजूर

Shashank Baranwal
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Nisha Bangre

MP Election 2023:  मध्य प्रदेश में साल के आखिर में चुनाव होने वाला है। चुनाव को लेकर सियासी उठापटक तेज हो गई है। चुनाव के पहले ही कई सारे अफसर ऐसे हैं जिन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। वहीं किसी के इस्तीफे को मंजूर कर लिया गया और किसी का अभी भी अधर में लटका हुआ है। इसी मामले को लेकर इन दिनों लवकुशनगर एसडीएम निशा बांगरे की चर्चा जोरो शोरों से चल रही है। पूर्व एसडीएम निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर न होने के कारण न्याय यात्रा कर रही है। इस यात्रा के माध्यम से एसडीएम निशा बांगरे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपने इस्तीफे को स्वीकार कराना चाहती है। पूर्व एसडीएम निशा बांगरे अपने इस्तीफे को लेकर भोपाल आने वाली है। जहां वो सोमवार को मुख्यमंत्री आवास पर आमरण अनशन करेंगी।

विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहती है निशा बांगरे

जानकारी के आनुसार निशा बांगरे इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आमला विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहती है। जिसको लेकर उन्होंने जून महीने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कई महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक उनके इस्तीफे को मंजूरी नहीं मिल पाई है। जिसके लिए उन्होंने 28 सितंबर को आमला से न्याय यात्रा की शुरुआत की थी। वहीं इस तरह का मामला पहली बार देखने को मिल रहा है जहां कोई अधिकारी अपने इस्तीफे को मंजूर कराने के लिए आंदोलन कर रहा है।

अपने अधिकारों की सुरक्षा का हवाला देकर दिया इस्तीफा

पूर्व एसडीएम निशा बांगरे ने अपने अधिकारों का हवाला देकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। निशा बांगरे ने कहा कि मैं एक एससी महिला हूं जिसके कारण मेरे स्वतंत्रता के अधिकारो से दूर किया जा रहा है। वहीं उन्होंने बीजेपी पर जमकर हमला बोला हुआ है। उन्होंने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि अगर वह बीजेपी से चुनाव लड़ती तो उनका इस्तीफा एक दिन में मंजूर कर लिया गया होता। वहीं उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि शिवराज सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है।

पढ़ी लिखी महिला को चुनाव लड़ने से रोका जा रहा

गौरतलब है कि पूर्व एसडीएम निशा बांगरे को अपने पद से इसतीफा दिए हुए 3 महीने से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन फिर भी अभी तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा एक ओर महिला को आरक्षण देने की बात कह रही है वहीं जब एक पढ़ी लिखी महिला राजनीति में आना चाहती है, चुनाव लड़ना चाहती है तो उसे चुनाव लड़ने से रोका जा रहा है। इसके साथ ही कहा कि महिलाओं के साथ अन्याय हो रहा है। इसके लिए हमें आमला से चलकर भोपाल तक जाना पड़ रहा है। उन्होंने इस्तीफे की मंजूरी के लिए शुरु यात्रा को महिलाओं के अन्याय के विरुद्ध न्याय की यात्रा बताया है।

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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