इस समय प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, जिसका हिस्सा बनने के लिए देश और दुनियाभर से करोड़ों की संख्या में लोग यहां पहुंच रहे हैं। साधु संतों के साथ दुनिया भर से आई जनता गंगा और त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगा रही है। हर 12 साल में एक बार कुंभ का आयोजन होता है और जब 12 बार पूर्णकुंभ हो जाता है तब महाकुंभ का आयोजन होता है। 144 साल बाद प्रयागराज में महाकुंभ का अवसर आया है।
13 जनवरी से इस महाकुंभ की शुरुआत हुई है और दुनियाभर के साधु यहां अपने अखाड़े के साथ पहुंचे हैं। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन कुंभ का समापन होगा। वैसे तो महाकुंभ का हर दिन खास होता है लेकिन जिस दिन शाही स्नान का आयोजन किया जाता है। उस दिन भीड़ ज्यादा देखने को मिलती है। नागा साधुओं से लेकर अलग-अलग संप्रदाय के साधु संत डुबकी लगाते हैं और उसके बाद जनता का स्नान होता है।
शाही स्नान का महत्व (Mahakumbh)
शाही स्नान का महाकुंभ में काफी अधिक महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन जो गंगा और पवित्र नदियों में स्नान करता है उसे जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है और वह मोक्ष की प्राप्ति करता है। जो लोग पितृ दोष की समस्या से परेशान है उन्हें छुटकारा मिलता है। वैसे तो कुंभ के समय किसी भी दिन किया गया स्नान फलदायक होता है लेकिन शाही स्नान अमृत्व की प्राप्ति करवाता है। महाकुंभ में किया गया स्नान 1000 अश्वमेध यज्ञ करने का पुण्य देता है।
फरवरी में कब है शाही नाम
बसंत पंचमी
फरवरी में सबसे पहला स्नान बसंत पंचमी के दिन पड़ने वाला है। 3 फरवरी को बसंत पंचमी है और इस दिन माता सरस्वती की विशेष तौर पर पूजन अर्चन की जाती है। इस दिन किया गया स्नान काफी खास होने वाला है।
माघ पूर्णिमा
फरवरी में दूसरा स्नान माघ पूर्णिमा पर आयोजित होगा। पूर्णिमा का दिन सनातन धर्म में वैसे भी काफी शुभ माना गया है। इस दिन चंद्रमा अपने पूरे रूप में होता है। ऐसे में शाही स्नान का आयोजन बेहद शुभ साबित होगा।
महाशिवरात्रि
फरवरी महीने का तीसरा और महाकुंभ का अंतिम स्नान महाशिवरात्रि पर आयोजित होगा। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का त्यौहार है जिस देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। इस दिन किया गया स्नान व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति करवाएगा।