नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। एनर्जी पालिसी इंस्टिट्यूट एट द यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो (EPIC) के द्वारा मंगलवार को जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) में ऊर्जा नीति संस्थान के अनुसार, भारत में मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा वायु प्रदूषण है, जिससे जीवन सीमा में पांच साल की कमी आई है। इसके विपरीत, बच्चे और मातृ कुपोषण से भारत में औसत जीवन सीमा लगभग 1.8 वर्ष और धूम्रपान से लगभग 1.5 वर्ष कम हो जाता है।
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अध्ययन में यह भी कहा गया है कि भारत के सबसे प्रदूषित क्षेत्र दिल्ली के निवासियों की जीवन सीमा औसतन 10 साल बढ़ जाएगी यदि वार्षिक औसत पीएम 2.5 का स्तर पांच माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक न हो, WHO द्वारा यह आंकड़ा पिछले साल सितंबर में संशोधित वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश के आधार पर जारी किया था। जहां पिछले साल AQLI के विश्लेषण के अनुसार दिल्ली सबसे प्रदूषित राज्य भी था जहाँ औसतन लगभग 9.7 साल की जीवन सीमा कम हो गई थी, जो WHO के पहले के 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (μg / m3) के PM2।5 स्तरों के आंकड़ों के आधार पर था। पिछले साल सितंबर में WHO ने इसे घटाकर 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर कर दिया था।
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एनर्जी पालिसी इंस्टिट्यूट एट द यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो के एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स(AQLI) के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा स्वच्छ वायु लद्दाख में है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश और फिर केरल, अंडमान व निकोबार तथा पुदुचेरी का नंबर आता है। इनके बाद छठे स्थान पर तमिलनाडु है जिसके बाद आते हैं गोवा, नागालैंड और कर्नाटक। जहाँ तक बात की जाए सबसे प्रदूषित शहरों की तो पहले स्थान पर दिल्ली का नंबर आता है जिसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा का नाम है।