अनुपम खेर की सरकार को खरी खरी, इमेज बचाने से ज्यादा जरूरी है लोगों की जान बचाना

Atul Saxena
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भोपाल डेस्क रिपोर्ट।  कोरोना मरीजों की मदद के लिए आगे आये फिल्म एक्टर अनुपम खेर (Anupam Kher) ने विदेशों से मेडिकल इक्यूप्मेंट्स और अन्य जरुरी सामान आयात किया है जिसे वो अनुपम खेर फाउंडेशन (Anupam Kher Foundation) की मदद से जरूरतमंद अस्पतालों तक पहुंचाएंगे। प्रोजेक्ट हील इंडिया (Project Heal India) शुरू कर मदद करने आगे आये अनुपम खेर (Anupam Kher) ने मोदी सरकार (Modi गवर्नमेन्ट को खरी खरी भी सुनाई है।  उन्होंने कहा है कि इस समय अपनी इमेज बनाने से अच्छा है लोगों की जान बचाना।

अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और उनकी सरकार की तारीफ करने वाले अनुपम खेर (Anupam Kher)  इस बार कोरोना (Corona) से बिगड़े देश के हालात को देखकर नाराज हैं। एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में अनुपम खेर (Anupam Kher) ने कहा कि कोविड से लड़ने में सरकार कहीं ना कहीं नाकाम रही है।  अनुपम खेर (Anupam Kher) ने कहा कि सरकार को अपनी इमेज बनाने से ज्यादा लोगों की जान बचाने पर ध्यान देना चाहिए।

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अनुपम खेर (Anupam Kher) ने आगे कहा कि मेरे हिसाब से इस समय सरकार की आलोचना जायज है क्योंकि सरकार को वो काम करना चाहिए जिसके लिए जनता ने उसे चुना है।  अनुपम खेर (Anupam Kher) ने गंगा नदी में टाइट शवों पर हो रही राजनीति की भी आलोचना की।  अनुपम खेर (Anupam Kher) ने कहा कि मुझे लगता है कि तैरते शवों को देखकर कोई निर्दयी आदमी ही दुखी नहीं होगा, लेकिन इस पर दूसरी राजनैतिक पार्टियां जो राजनीति कर रही हैंवो ठीक नहीं है।

देश में ऑक्सीजन, मेडिकल इक्यूपमेंट की कमीं को देखकर मदद के लिए आगे अनुपम खेर (Anupam Kher) ने अपने फाउंडेशन अनुपम खेर फाउंडेशन (Anupam Kher Foundation) की मदद से प्रोजेक्ट हील इंडिया (Project Heal India) शुरू किया है जिसकी मदद से विदेशों से जरुरी सामान आयात कर देश के उन जरूरतमंद अस्पतालों तक पहुंचा रहे हैं जिसकी वहां बहुत जरुरत है।

ट्विटर पर सामग्री के साथ वीडियो शेयर कर अनुपम खेर (Anupam Kher) ने कहा कि हमने अमेरिका से हमने सामान मंगाया है जिसमें ऑक्सीजन कन्संट्रेटर है , बाइपेप मशीन , वेंटिलेटर सहित कई सामान हैं।  उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि उन्ही अस्पताल तक पहुंचे जहाँ इनकी बहुत जरुरत है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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