लाखों कर्मचारियों को बड़ा झटका, DA-DR पर आई बड़ी अपडेट, अभी नहीं जारी होगी राशि

Pooja Khodani
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट।7th Pay Commission. केन्द्रीय कर्मचारियों (Central Government Employees Pensioners) के लिए एक बुरी खबर है।पेंशनरों को बड़ा झटका लगा है।  केन्द्र की मोदी सरकार ने महंगाई भत्ते  की पिछली तीन राहत किस्त जारी करने से इनकार कर दिया है।केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए डीआर (पेंशनभोगियों के लिए) और महंगाई भत्ता (डीए) की कुल राशि लगभग 34,000 करोड़ रुपये है।केंद्र सरकार के कर्मचारियों को डीए और पेंशनभोगियों को डीआर की 1 जनवरी 2020, 1 जुलाई 2020 और 1 जनवरी 2021 को देय तीन किस्तें बाकी है, जिसे अप्रैल 2020 में फ्रीज किया गया था।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,  वित्त मंत्रालय ने सोमवार को पेंशनभोगियों से तत्काल राहत कार्य के लिए सरकार के व्यय नियंत्रण उपायों के हिस्से के रूप में कोविड -19 महामारी के चरम दिनों के दौरान वापस रखी गई महंगाई राहत (डीआर) की तीन किस्तों को जारी करने के अनुरोध को ठुकरा दिया।यह राशि लगभग 34,000 करोड़ रुपये है।  पेंशन नियमों की समीक्षा के लिए स्वैच्छिक एजेंसियों की स्थायी समिति की 32वीं बैठक में व्यय विभाग (DOE) ने पिछले DA और DR की राशि को जारी ना करने का फैसला किया है।इस संबंध में वेबसाइट हिंदुस्‍तान टाइम्स ने खबर प्रकाशित की है और इस बात की जानकारी रखने वाले दो लोगों के हवाले से ये खबर दी गई है।

सोमवार को केंद्रीय पेंशनभोगी कल्याण मंत्री जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में हुई पेंशन रिव्यू की 32वीं बैठक के बाद व्यय विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि डीए और डीआर की जिस राशि को रोका गया था, फिलहाल उसका भुगतान नहीं किया जाएगा।वित्त मंत्रालय और डीओई को इस बाबत मेल भी किया गया था जिसका जवाब नहीं दिया गया। वही  21 जुलाई को प्रतिबंध (फ्रीज) हटाए जाने के बाद डीए और डीआर भत्तों में तीन वृद्धि देखी गई है, जो की राशि को डबल करती है।

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राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगस्त 2021 में बताया था कि डीए की राहत किस्त फ्रीज करने से सरकार को लगभग ₹34,402 करोड़ रुपये की बचत हुई।जबकी भारत पेंशनर्स समाज के महासचिव एस.सी. माहेश्वरी का कहना है कि जमा राशि ब्याज सहित 36,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।सरकार को पेंशनभोगियों के लिए बकाया भुगतान करना चाहिए क्योंकि उनके पास जीवित रहने के लिए कोई अन्य साधन नहीं है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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