Old Pension Scheme 2024 : कर्मचारियों को बड़ा तोहफा, अब मिलेगा पुरानी पेंशन का लाभ, सरकार ने जारी किया जीआर, ये रहेंगे नियम

कैबिनेट बैठक में मंजूरी के बाद सरकार ने एक जीआर जारी किया जिसमें एक नवंबर 2005 के बाद सेवा में शामिल हुए सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ उठाने के लिए छह महीने के भीतर आवेदन करने को कहा गया है। इसके तहत जिन कर्मंचारियों की नियुक्ति नवंबर 2005 के बाद हुई है वे ओपीएस का लाभ उठाने का विकल्प चुन सकते हैं।

OLD PENSION SCHEME

OLD PENSION SCHEME 2024 : महाराष्ट्र के सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है।अब नवंबर 2005 के बाद सेवा में शामिल होने वाले कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा, इस संबंध में राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार ने सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी कर दिया है, इसमें सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस)का लाभ उठाने के लिए छह महीने के भीतर आवेदन करने को कहा गया है।

इन कर्मचारियों को मिलेगा पुरानी पेंशन योजना का लाभ, ये रहेंगे नियम

  • दरअसल, हाल ही में सीएम एकनाथ शिन्दे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में पुरानी पेंशन योजना को मंजूरी दी गई थी, इसके तहत जिन कर्मंचारियों की नियुक्ति नवंबर 2005 के बाद हुई है वे पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का लाभ उठाने का विकल्प चुन सकते हैं।
  • अब शिंदे सरकार ने इस संबंध में एक जीआर जारी किया जिसमें सरकारी कर्मचारियों को ओपीएस और नई पेंशन योजना के बीच चयन करने का लाभ उठाने के लिए छह महीने के भीतर आवेदन करने को कहा गया है।इसके तहत जिन पदों के लिए विज्ञापन एक नवंबर, 2005 से पहले जारी किए गए थे, लेकिन चयन बाद में हुआ वे कर्मचारी ओपीएस के लिए आवेदन कर सकेंगे।
  • जो कर्मचारी आज से छह महीने के भीतर आवेदन नहीं करेंगे उन्हें एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन योजना) के तहत लाभ मिलेगा। इससे राज्य के 25000 से ज्यादा कर्मचारी लाभान्वित होंगे।

हजारों कर्मचारियों को मिलेगा लाभ

वर्तमान में राज्य में लगभग 9.5 लाख सरकारी कर्मचारी हैं जो नवंबर 2005 से पहले सेवा में शामिल हुए थे और वे पहले से ही ओपीएस का लाभ उठा रहे हैं, लेकिन 2005 के बाद ओपीएस को बंद कर एनपीएस लागू कर दिया गया था, जिससे 2005 के बाद वालों कर्मचारियों को लाभ मिलना बंद हो गया था, लेकिन इस फैसले से अब फिर से कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिलेगा।


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)