दरअसल, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डीवीएसएस सोमयाजुलु की खंडपीठ विजयनगरम जिला अदालत के सेवानिवृत्त अतिरिक्त न्यायाधीश के सुधामणि द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष तक बढ़ाने की मांग की थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डीवीएसएस सोमयाजुलु की खंडपीठ ने सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने के राज्य सरकार के फैसले के अनुरूप सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष कर दी है, क्योंकि संवैधानिक प्रावधान सेवानिवृत्ति की आयु की अनुमति नहीं देते हैं। न्यायिक अधिकारियों को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु के बराबर होना, जो कि 62 वर्ष है, न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु का विस्तार संभव नहीं है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाई कोर्ट की बैंच ने ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया है, जिसमें कहा गया था कि हाई कोर्ट के न्यायाधीशों और अन्य न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु में अंतर तर्कसंगत था,लेकिन पूर्ण पीठ (अदालत में सभी न्यायाधीशों की उपस्थिति) को इस विषय पर कोई फैसला लेने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना होगी। न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु और सेवानिवृत्ति की आयु के संबंध में एपी लोक रोजगार अधिनियम की धारा 3 (1ए) केवल 60 वर्ष है।