Employees New Rule : प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों के लिए बड़ी तैयारी की गई है। इसके तहत संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा। साथ ही इनके शोषण की शिकायत पर प्रदेश सरकार ने गंभीर होते हुए व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की और आउटसोर्सिंग भर्ती में मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने की नई नियमावली तैयार की है।
नई नियमावली होगी तैयार
उत्तर प्रदेश में संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के शोषण की शिकायत लगातार देखने को मिल रही थी। जिसके बाद अब व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की तैयारी की गई है। आउटसोर्सिंग भर्तियों की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने के लिए नई नियमावली तैयार की गई है। व्यवस्था की जा रही है कि एजेंसियों को किसी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को हटाने के लिए उस विभाग में संस्तुति लेनी होगी, जहां वह काम कर रहा है।
बीते दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की तारीफ की थी। इसके साथ ही कहा था कि सुनिश्चित किया जाए कि सभी कर्मचारियों के मानदेय का भुगतान समय पर किया जाए। किसी भी दशा में कर्मचारी का आर्थिक और मानसिक शोषण नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही अब सेवायोजन विभाग द्वारा नई नियमावली तैयार की जा रही है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इसके लिए दूसरे राज्य और हरियाणा की नीतियों का अध्ययन किया जा रहा है।
नई नियमावली के प्रस्ताव
- नई नियमावली के तहत आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरी जाने वाली रिक्तियों को चयनित एजेंसी सेवायोजन पोर्टल पर अपलोड करती है। अभ्यर्थी आवेदन करते हैं और सेवा प्रदाता एजेंसी द्वारा अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है। इस प्रक्रिया में बदलाव किया जाएगा।
- नई नियमावली के प्रस्ताव के तहत रेंडमाइजेशन की जगह शैक्षणिक योग्यता के आधार पर मेरिट से अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा।
- इंटरव्यू के लिए कुल अंक 20% से अधिक नहीं होनी चाहिए। वही भर्ती प्रक्रिया के लिए टाइम लाइन तय करते हुए 20 से 30% अभ्यर्थियों की वेटिंग लिस्ट तैयार की जाएगी।
- चयन प्रक्रिया से संबंधित विभाग का प्रतिनिधि शामिल किया जाना अनिवार्य किया गया।
- उम्मीदवारों के लिए सेवायोजन पोर्टल पर शैक्षणिक और तकनीक योग्यता का प्रमाण पत्र अपलोड करना अनिवार्य किया जाना चाहिए। साथ ही फर्जीवाड़े और अयोग्य उम्मीदवारों के रखे जाने की आशंका को खत्म किया जाएगा।
- वही आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के इपीएफ और कर्मचारी बीमा के पैसे को लेकर भी लगातार समस्या देखी जा रही थी। कई बार एजेंसी के कर्मचारियों का पैसा काट लेती है और इसे जमा नहीं करती। इसके लिए व्यवस्था की जा रही है। ईपीएफ पोर्टल पर सभी विभाग और एजेंसी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा।
- इपीएफ और बीमा का पैसा जमा करने का प्रमाण पत्र उपलब्ध करवाने होंगे
- एजेंसी को मानदेय का भुगतान तभी किया जाएगा। जब कर्मचारियों के इपीएफ और बीमा का पैसा जमा करने का प्रमाण पत्र कंपनी उपलब्ध कराएगी। हर महीने की एक तारीख निश्चित की जाएगी। जिसके बाद कर्मचारियों का अंश एजेंसी को जमा करना है।
नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी
विभाग के स्तर पर इसकी नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी। एजेंसी की अनियमितता के खिलाफ आवाज उठाने पर भी कर्मचारियों को निकाले जाने की शिकायत आती है। इस पर लगाम लगाने की व्यवस्था की जा रही है। कर्मचारियों को हटाने के लिए विभाग की संस्तुति अनिवार्य रहेगी।