दिल्ली के उपराज्यपाल के निष्क्रिय सरकारी कर्मचारियों को समय से पहले जबरन सेवानिवृत्त किए जाने के निर्देश के बाद वित्त विभाग की एचआरडी कैडर नियंत्रण इकाई ने इस संबंध में सभी विभागों के प्रमुखों को सर्कुलर जारी किया है और निर्धारित प्रारूप में कर्मचारियों से जुड़ी जानकारी देने को कहा गया है।इसके साथ ही आदेश में ऐसे कर्मचारियों की लिस्ट को हर महीने की 15 तारीख तक तय प्रारूप के तहत भेजने को कहा है और जानकारी देने के साथ उस पर क्या कार्रवाई की गई, इसकी भी रिपोर्ट सेवा विभाग को भेजना को कहा गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य सरकार के ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों के कामकाज की समय-समय पर समीक्षा रिपोर्ट देने के लिए एक पांच सदस्यीय समिति का गठन भी किया गया है।इसके तहत ऐसे कर्मचारियों को चिह्नित किया जाएगा, जो कि बिल्कुल काम नहीं कर रहे या फिर कई महीनों से छुट्टी पर है, काम को लेकर एक्टिव नहीं है। इसमें उन कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर शामिल किया जाएगा जो कि 50 से 55 साल की उम्र के करीब हों या 30 साल की सेवा दे चुके हों।
हाई कोर्ट का अहम फैसला, 8% ब्याज समेत ग्रेच्युटी भुगतान का आदेश, कर्मचारियों को 45 दिन के अंदर मिलेगा लाभ
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसे कर्मचारी जिनकी कामकाज के प्रति सत्यनिष्ठा संदिग्ध हो, जो अप्रभावी हो, कामकाज नहीं कर रहा है, कर्मचारी जिस पद पर तैनात है वह उसके लिए उपयोगी या पूरी तरह से फिट है कि नहीं, इसकी पुष्टि जांच होने पर और कर्मचारी को बीते पांच साल में प्रमोशन मिला है लेकिन उसकी गतिविधि संदिग्ध है तो इसके दायरे में आएंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वही अगर कोई कर्मचारी समय से पहले सेवानिवृत्त होना चाहता है, उसकी सिफारिश की तारीख को तय हुई है या उस समय से अगले एक साल के अंदर वह खुद रिटायर होने वाला है और जिस पद पर है उस पर अप्रभावी मिलता है, लेकिन अगर उससे पहले बीते पांच साल में उच्च पद पर प्रमोट हुआ तो उसके आधार पर उसे सेवानिवृत्त नहीं किया जा सकता है।