Chhatrapati Shivaji Maharaj: 15 वर्ष की आयु में मुगलों को चटाई धूल, विकसित की नई युद्ध शैली, आज भी रहस्य है छत्रपति की मृत्यु

Diksha Bhanupriy
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Chhatrapati Shivaji Maharaj

Chhatrapati Shivaji Maharaj Death Anniversary: आज से 390 साल पहले महान मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी का जन्म हुआ था। वह महान योद्धा होने के साथ एक बेहतरीन रणनीतिकार थे और 1674 ईसवी में उन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। सालों तक मुगलों से संघर्ष करने के बाद 1674 में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक किया गया। आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों से रूबरू करवाते हैं।

1674 में Chhatrapati Shivaji Maharaj ने संभाली गद्दी

1674 में रायगढ़ की गद्दी को शिवाजी महाराज ने संभाला था और 44 वर्ष की उम्र में उनकी जिंदगी में यह पल आया था। वह इकलौते ऐसे शासक हैं जिन्होंने युद्ध की कलाओं को नया आयाम दिया और छापामार युद्ध जैसी नई शैली भी विकसित की। उन्होंने फारसी की जगह मराठी और संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाने के साथ ही हिंदू राजनीतिक प्रथा और दरबारी शिष्टाचार को पुनर्जीवित करने का काम किया।

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छत्रपति शिवाजी ने बनी नई युद्ध तकनीक

ऐसा कहा जाता है कि गुरिल्ला युद्ध के समय उन्होंने कई तरह की नई तकनीकों को जन्म दिया और इसी की मदद से उन्होंने मुगलों को कड़ी टक्कर दी थी। उन्होंने अपनी एक स्थाई सेना बनाई थी और जिस समय उनकी मृत्यु हुई उनकी सेना में 30 से 40000 नियमित और स्थाई रूप से नियुक्त घुड़सवार, एक लाख पैदल सैनिक 1260 हाथी मौजूद थे और उनका पूरा सैन्य दल तोपखानों से लैस था।

बताया जाता है कि राज गद्दी संभालते वक्त शिवाजी को विरासत में सिर्फ दो हजार सैनिकों की फौज दी गई थी जिसे उन्होंने जल्द ही बड़ी सेना में तब्दील कर दिया।

 

पहले थे स्वतंत्र शासक

1674 में रायगढ़ की गद्दी संभालने से पहले शिवाजी महाराज एक स्वतंत्र शासक थे और राज्याभिषेक होने के बाद वह छत्रपति कहलाए। अपने मंत्रियों की परिषद के जरिए उन्होंने 6 वर्ष तक शासन किया। उनका राज्याभिषेक हुआ था तो उसमें 50,000 से ज्यादा मेहमान अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे।

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शिवाजी की मृत्यु आज भी रहस्य

3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ के फोर्ट में शिवाजी महाराज का निधन हो गया था। उनके निधन को लेकर इतिहासकारों में आज भी मतभेद की स्थिति देखी जाती है। कुछ लोगों का कहना है कि उनकी मृत्यु स्वाभाविक तरीके से हुई थी लेकिन कुछ का कहना है कि साजिश के तहत उन्हें जहर दे दिया गया था। जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें नहीं बचाया जा सका।

खुदाई में मिली हड्डियां

महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में शिवाजी महाराज का निधन हुआ था और जब 1926 27 के दौरान यहां पर खुदाई की गई तो कुछ हड्डियां मिली थी, जिन्हें शिवाजी का बताया जा रहा था। इतिहासकारों में यह मतभेद है कि यह शिवाजी की है या फिर किसी और की है। लोगों ने इनका डीएनए टेस्ट कराने की बात भी कही थी ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर कार्य अवशेष किसके हैं। अगर ये महाराज शिवाजी के होंगे तो पता लगाया जा सकेगा कि उनकी मृत्यु कैसे हुई थी। रायगढ़ के किले में उनकी समाधि अवस्था में बैठी हुई एक मूर्ति भी है।

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पत्नी ने रची साजिश

कहा जाता है कि शिवाजी महाराज की मृत्यु के पीछे उनके कुछ मंत्रियों और पत्नी सोयराबाई का हाथ था। क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि महाराज अपनी दूसरी पत्नी के बेटे संभाजी को गद्दी का उत्तराधिकारी बना दें उन्हें अपने बेटे राजाराम को इस गद्दी का उत्तराधिकारी बनते हुए देखना था। हालांकि, उस समय उनके बेटे की उम्र सिर्फ 10 साल थी।

जिस दिन शिवाजी महाराज का निधन हुआ उस दिन किले में जोर शोर से हनुमान जयंती मनाने की तैयारियां चल रही थी और सारी रानियां उसी में व्यस्त थी। बड़ा बेटा संभाजी किले में ना होकर कोल्हापुर में था और महाराज के पास ऐसा कोई नहीं था जो उनकी रक्षा कर सकें। ऐसे में साजिशकर्ताओं को मौका मिला और उन्होंने अपना काम कर दिया जिसके बाद शिवाजी को नहीं बचाया जा सका।

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नाटकीय तौर पर बदले हालात

शिवाजी की मृत्यु के बाद साम्राज्य के हालात नाटकीय तौर पर बदलते हुए देखे जाने लगे। बड़े बेटे संभाजी को बंदी बनाकर एक दुर्ग में रख दिया गया और छोटे बेटे राजा राम का राज्याभिषेक कर दिया गया। हालांकि, इन बातों को लेकर भी इतिहासकारों में असमंजस की स्थिति है।

इतिहासकारों के एक वर्ग का मानना है कि शिवाजी की मृत्यु स्वाभाविक थी क्योंकि अपनी मृत्यु के कुछ समय पहले से वह बीमार चल रहे थे। उनका कहना था कि महाराज टायफाइड से पीड़ित थे, उन्हें तीन दिन से तेज बुखार था और उन्हें खून की उल्टी भी हुई थी। वहीं कुछ इस साजिश मानते हैं।

मुगलों को चटाई धूल

हालांकि, इन सब चीजों से परे यह बात हमेशा इतिहास में जिंदा रहेगी कि शिवाजी इकलौते ऐसे शासक थे जिन्होंने मुगलों को धूल चटा दी थी और घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। उस समय मुगलिया शासक औरंगजेब भी उनकी वीरता से डर गया था और उसने संधि का प्रस्ताव महाराज को भेजा था।

हालांकि, यह उसकी साजिश थी और इसी के तहत उसने शिवाजी को बंदी बनाया था। यह साजिश ज्यादा दिन तक नहीं चल सकी और छत्रपति फलों की टोकरी में बैठकर मौके से गायब हो गए और फिर उन्होंने ठान लिया कि वह मुगलों की हुकूमत को खत्म करके ही मानेंगे।


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Diksha Bhanupriy

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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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