नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। कोलंबो अपने सबसे खराब वित्तीय संकट से जूझ रहा है। इस समस्या निपटने में मदद करने के लिए भारत के “महान प्रयास” की चीन ने प्रसंशा की है। साथ ही चीन ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की उस टिप्पणी का खंडन किया है, जिसमें कहा गया था कि बीजिंग ने पाकिस्तान सहित दक्षिण एशिया से अपना रणनीतिक ध्यान दक्षिण पूर्व एशिया में स्थानांतरित कर दिया है। 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से श्रीलंका अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल से जूझ रहा है।
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चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने मीडिया में कहा “हमने नोट किया है कि भारत सरकार ने इस पहलू में बहुत प्रयास किए हैं। मीडिया ने जब पूछा क्या चीन, श्रीलंका की मदद करने से डर रहा है। जब वह अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उन्होंने कहा, “इस आपदा से निपटने के लिए हम विकासशील देशों की मदद करने के लिए भारत एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करने को तैयार हैं।”
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भारत ने श्रीलंका की मदद के लिए लाइन क्रेडिट और अन्य तरीकों के रूप में लगभग 3 बिलियन अमरीकी डालर की सहायता की है, जिसने वास्तव में दिवालिया घोषित कर दिया है और चीन सहित कुल 51 बिलियन अमरीकी डालर के सभी विदेशी ऋणों पर चूक कर दी है। चीन ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए 500 मिलियन आरएमबी मतलब की $73 मिलियन की घोषणा की है, लेकिन ऋण चुकाने के मामले को स्थगित करने के अनुरोध में अभी तक चुप है।
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बीजिंग राजपक्षे के बयान से नाराज है। यह देखते हुए कि वित्तीय संकट में दक्षिण एशियाई देशों को बीजिंग से पहले की तरह ध्यान नहीं मिल रहा है। सोमवार को ब्लूमबर्ग को दिए एक साक्षात्कार में, राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंका 1.5 बिलियन USD का उपयोग नहीं कर पाया है और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस मामले में अभी तक कोई सुनवाई नहीं की है।
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राजपक्षे ने कहा कि चीन ने संकेत दिया है कि वह श्रीलंका की मदद करेगा, जबकि वह पहले के ऋण भुगतान को कवर करने के लिए अधिक धन उधार दे रहा हैं। “मेरा मानना है कि चीन ने अपना रणनीतिक ध्यान फिलीपींस, कंबोडिया और वियतनाम, अफ्रीका जैसे क्षेत्र में अधिक कर दिया हैं।” राजपक्षे ने कहा, “इस क्षेत्र में उनकी रुचि कम है।” “मुझे नहीं पता कि मैं सही हूं या गलत, यहां तक कि पाकिस्तान पर भी ध्यान कम हो गया है।