कांग्रेस नेता उदित राज ने एक बार फिर ‘मेरा बनाम आरक्षण’ की बहस को हवा दे दी है। उन्होंने भारतीय वायुसेना के पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के बजाय दलित समुदाय के किसी उम्मीदवार को axiom-4 मिशन के लिए चुनने की वकालत की। उदित राज ने कहा, “जब राकेश शर्मा को पहली बार अंतरिक्ष में भेजा गया था तब एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों में ज्यादा शिक्षित लोग नहीं थे, लेकिन इस बार इन समुदायों से किसी को भेजा जा सकता था। मुझे लगता है कि इस बार दलित की बारी थी।” शुक्ला अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं, वह आज 18 दिन की यात्रा के बाद पृथ्वी पर लौट रहे हैं।
उदित राज 2019 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्रा जैसे अवसर हाशिए पर रहने वाले समुदायों को भी दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, “यह कोई नासा का इम्तिहान नहीं था कि चयन हुआ। शुक्ला जी की जगह कोई दलित या ओबीसी भी भेजा जा सकता था।” हालांकि, उन्होंने शुक्ला को उनकी सफल मिशन के लिए बधाई भी दी और कहा कि उनकी इस यात्रा से प्राप्त ज्ञान मानवता के लिए लाभकारी हो सकता है। शुक्ला की चार सदस्यीय टीम का स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल 22.5 घंटे की वापसी यात्रा के बाद कैलिफोर्निया के तट पर प्रशांत महासागर में उतरेगा।
उपलब्धि को जातिगत राजनीति से जोड़ने का आरोप
उदित राज के इस बयान ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाईं। कई लोगों ने उन पर वैज्ञानिक उपलब्धि को जाति की राजनीति से जोड़ने का आरोप लगाया। एक एक्स यूजर ने लिखा, “उदित राज के अनुसार अंतरिक्ष मिशन अब लकी ड्रॉ की तरह हैं। ‘क्षमा करें, शुक्ला जी, आज दलित का दिन था, कृपया हट जाएं।’ किसी को याद दिलाना चाहिए कि यह बिग बॉस नहीं अंतरिक्ष कार्यक्रम है। अंतरिक्ष यात्री जाति से नहीं, क्षमता से चुने जाते हैं।” एक अन्य पोस्ट में कहा गया कि यह शर्मनाक है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन को सलाम करने के बजाय उदित राज इसे जाति में घसीट रहे हैं।
पहले भी दिया है विवादित बयान
हाल के महीनों में उदित राज कांग्रेस के भीतर कुछ विवादास्पद बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं। इससे पहले, उन्होंने पार्टी सांसद शशि थरूर को “सुपर बीजेपी प्रवक्ता” कहकर तंज कसा था, जब थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर कूटनीतिक मिशन के लिए मोदी सरकार की प्रशंसा की थी। उदित राज के इन बयानों ने न केवल राजनीतिक हलकों में, बल्कि आम जनता के बीच भी बहस को जन्म दिया है।





