लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर भारत के रुख को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान के दौरान तीखी नोकझोंक देखने को मिली। जयशंकर ने अपने भाषण में भारत की कूटनीतिक सफलताओं को रेखांकित किया, लेकिन विपक्षी नेताओं ने बार-बार उनके बयान में व्यवधान डाला। इससे नाराज गृह मंत्री अमित शाह को हस्तक्षेप करना पड़ा। शाह ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, “क्या आप अपने ही विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं करेंगे? विपक्ष को विदेशी देशों पर भरोसा है लेकिन यह देश उनकी पार्टी की नीतियों पर नहीं चलेगा।”
जयशंकर ने लोकसभा को बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेने वाली द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को अब वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया गया है। उन्होंने इसे भारत की सतत कूटनीतिक कोशिशों का परिणाम बताया। जयशंकर ने कहा, “कौन सोच सकता था कि पाकिस्तान के बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकी ठिकानों को इस तरह नेस्तनाबूद किया जाएगा?” उनके इस बयान ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ सक्रिय भूमिका और वैश्विक समुदाय के बदलते रवैये को दर्शाया।
हमले की वैश्विक निंदा पर भी जोर
विदेश मंत्री ने पहलगाम हमले की वैश्विक निंदा पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “क्वाड और ब्रिक्स जैसे समूहों के साथ-साथ कई देशों ने इस हमले की खुलकर निंदा की है।” जयशंकर ने जर्मनी, फ्रांस और यूरोपीय संघ जैसे वैश्विक शक्तियों के समर्थन को भी रेखांकित किया। जर्मन विदेश मंत्री ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया, जबकि फ्रांस और यूरोपीय संघ ने भी इसी तरह के बयान दिए।
अगले 20 साल तक विपक्ष में रहेंगे
अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी मानसिकता के कारण वे अगले 20 साल तक विपक्ष में ही रहेंगे। उन्होंने विपक्ष के व्यवधानों को अनुचित करार दिया और कहा कि भारत की कूटनीति और आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई को कमजोर करने की कोशिश नहीं चलेगी। यह बहस भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत और आतंकवाद के खिलाफ उसकी मजबूत नीति को दर्शाती है।





