महाराष्ट्र में हाल ही में हिंदी और मराठी भाषा को लेकर छिड़े विवाद ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। इस मुद्दे पर दृष्टि आईएएस के संस्थापक और जाने-माने शिक्षक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने अपनी संतुलित और प्रेरक राय दी। उन्होंने कहा कि भाषा सिर्फ शब्दों का समूह नहीं, बल्कि पहचान और संस्कृति का प्रतीक है। इसे विवाद का कारण बनाने के बजाय, एकता और सम्मान का माध्यम बनाना चाहिए।
डॉ. विकास ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो के जरिए इस मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर कोई व्यक्ति किसी राज्य में नौकरी या व्यवसाय के लिए जाता है, तो उसे वहां की स्थानीय भाषा सीखने की कोशिश करनी चाहिए। “टूटी-फूटी ही सही, लेकिन स्थानीय भाषा बोलने से लोगों को सम्मान का एहसास होता है और आपका भी मान बढ़ता है,” उन्होंने कहा। यह बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जहां लोग उनकी संवेदनशील और समावेशी सोच की तारीफ कर रहे हैं।
भाषा को थोपने का नहीं, सीखने का पक्षधर
डॉ. विकास ने जोर देकर कहा कि किसी भी भाषा को थोपना गलत है। उन्होंने भारत की भाषाई विविधता को देश की ताकत बताया और कहा कि हर भाषा का अपना महत्व है। “हिंदी, मराठी, तमिल या कोई भी भाषा, सबकी अपनी खूबसूरती है। हमें एक-दूसरे की भाषा का सम्मान करना चाहिए और उसे सीखने की कोशिश करनी चाहिए। यह न सिर्फ आपसी समझ बढ़ाता है, बल्कि समाज में एकता भी लाता है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने बच्चों पर तीन भाषाओं का दबाव डालने की नीति पर भी सवाल उठाया। उनका मानना है कि भाषा सीखना स्वाभाविक और प्रेरणादायक होना चाहिए, न कि जबरदस्ती का। “बच्चों को भाषा सिखाने का तरीका ऐसा हो कि वे इसे बोझ न समझें, बल्कि इसे अपनी संस्कृति का हिस्सा मानें,” उन्होंने शिक्षकों और नीति निर्माताओं से अपील की।
राजनीति से दूर रखें भाषा को
डॉ. विकास ने भाषा विवाद को राजनीतिक हथियार बनाने की प्रवृत्ति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कुछ लोग भाषा का इस्तेमाल लोगों को बांटने के लिए करते हैं, जो देश के लिए नुकसानदेह है। “भारत की ताकत उसकी एकता में है। भाषा को विवाद का विषय बनाकर हम अपनी इस ताकत को कमजोर करते हैं,” उन्होंने चेतावनी दी।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि दक्षिण भारत की कई फिल्में हिंदी में ब्लॉकबस्टर हो रही हैं, और हिंदी भाषी खिलाड़ी जैसे महेंद्र सिंह धोनी चेन्नई सुपरकिंग्स के हीरो हैं। यह दिखाता है कि भाषा और क्षेत्र का बंधन अब कमजोर पड़ रहा है। “हमें इस सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा देना चाहिए,” उन्होंने कहा।





