Loksabha Election 2024 : चुनाव आयोग के सख्त निर्देश- इलेक्शन कैम्पेन में ना करें बच्चों का इस्तेमाल, कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे
Election Commission new Guideline : आयोग ने सभी राजनैतिक पार्टियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि चुनाव संबंधी कार्यों या चुनाव अभियान गतिविधियों में बच्चों को शामिल करना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग अधिकारी को कार्रवाई करने के जिम्मेदारी दी गई है।
EC Guideline for Loksabha Election 2024 : आगामी महीनों में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियां के बीच भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने राजनीतिक दलों के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं।आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों को चुनाव प्रचार में बच्चों और नाबालिग को शामिल न करने की हिदायत दी है और नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की बात कहीं है।
आयोग ने अपने निर्देशों में स्पष्ट किया है कि सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को बाल श्रम (निषेध और विनियमन) द्वारा संशोधित बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करना आवश्यक है।आयोग ने बच्चों के उपयोग के प्रति ‘शून्य सहनशीलता’ का संदेश दिया है।
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चुनाव आयोग की गाइडलाइन, प्रचार में ना करें बच्चों का इस्तेमाल
आयोग ने लोकसभा चुनाव की गाइडलाइन जारी करते हुए कहा है कि राजनेता चुनाव में बच्चों का इस्तेमाल ना करें, अगर चुनाव के दौरान पर्चे बांटते हुए, पोस्टर चिपकाते हुए, नारे लगाते हुए या पार्टी के झंडे बैनर लेकर चलते हुए बच्चे या नाबालिग दिखते है तो कार्रवाई की जाएगी।
चुनाव संबंधी कार्यों या चुनाव अभियान गतिविधियों में बच्चों को शामिल करना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग अधिकारी को कार्रवाई करने के जिम्मेदारी दी गई है।
निर्वाचन आयोग ने अपनी गाइडलाइन में स्पष्ट तौर पर बच्चों को किसी भी चुनाव प्रचार में हिस्सा बनाना, उनसे गीत या नारे लगवाने और उम्मीदवार के प्रतीक चिन्हों का प्रदर्शन करने के लिए सख्त मना किया है।
राजनीतिक नेताओं और उम्मीदवारों को किसी भी तरह से प्रचार गतिविधियों के लिए बच्चों का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिसमें बच्चे को गोद में लेना, वाहन में बच्चे को ले जाना या रैलियों में शामिल करना शामिल है।
आयोग ने साफ कहा है कि अगर कोई राजनीतिक पार्टियां ऐसा करती है तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, उनके खिलाफ बाल श्रम से संबंधित सभी अधिनियम, कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
राहत की बात ये है कि किसी नेता के आसपास, अपने माता-पिता या अभिभावक के साथ एक बच्चे की मौजूदगी को निर्वाचन आयोग द्वारा प्रचार गतिविधि में शामिल नहीं किया गया है, न ही इसे गाइडलाइन का उल्लंघन करार दिया गया है।
आयोग ने सभी चुनाव अधिकारियों और मशीनरी को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि वे चुनाव-संबंधी कार्य या गतिविधियों के दौरान किसी भी क्षमता में बच्चों को शामिल करने से बचें।
बाल श्रम से संबंधित सभी प्रासंगिक अधिनियमों और कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी और रिटर्निंग अधिकारी व्यक्तिगत जिम्मेदारी वहन करेंगे। अपने अधिकार क्षेत्र के तहत चुनाव मशीनरी द्वारा इन प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन के परिणामस्वरूप गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
"कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ।
खबरों के छपने का आधार भी हूँ।।
मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ।
इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।।
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झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।"
(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)