Friendship Day 2024: आज मनाया जा रहा ‘Friendship Day’, इस खास मौके पर जानिए श्रीकृष्ण और सुदामा की सच्ची मित्रता की कहानी

Friendship Day 2024: कहते हैं दोस्ती का रिश्ता खास रिश्तों में से एक होता है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है की यह एक मात्र रिश्ता है जिसे हम खुद चुनते हैं। दोस्त ही हमें वह शक्ति देते हैं जिसके चलते हम भारी से भारी समस्याओं से भी आसानी से गुजर सकते हैं।

Rishabh Namdev
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Friendship Day 2024: दोस्ती, एक ऐसा रिश्ता जो हर किसी के लिए खास होता है। यह सुख-दुख में हमारे साथ खड़ा रहता है और जीवन के कठिन दौर में हमारा मनोबल बनता है। दरअसल वैसे तो दोस्ती का कोई निश्चित दिन नहीं होता, हर दिन फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाया जा सकता है। लेकिन दोस्ती का महत्व इतना अधिक है कि इसे मनाने के लिए हर साल अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है।

भारत में यह दिन 4 अगस्त को मनाया जा रहा है। ऐसे में आज इस अवसर पर हम आपको श्रीकृष्ण और सुदामा की सच्ची मित्रता की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने दोस्ती की अद्भुत मिसाल दी थी।

श्रीकृष्ण- सुदामा की मित्रता

दोस्ती के रिश्ते की अगर बात आती है तो सबसे पहले श्रीकृष्ण- सुदामा की दोस्ती के बारे में ही बताया जाता है। दरअसल प्राचीन पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की बचपन में सांदीपनि मुनि के आश्रम में विद्या प्राप्त करते समय सुदामा नामक एक ब्राह्मण से मित्रता हुई थी। सुदामा अत्यंत गरीब थे, जबकि श्रीकृष्ण एक राजकुमार थे। वहीं शिक्षा समाप्त करने के बाद दोनों ने आश्रम को छोड़ दिया। समय बीतने के साथ सुदामा की आर्थिक स्थिति और भी बदतर हो गई।

दरअसल एक दिन सुदामा की पत्नी ने उनसे कहा कि वे श्रीकृष्ण से सहायता मांगें। जिसके बाद सुदामा पत्नी की जिद के कारण द्वारका पहुंच गए पहुंचने पर, द्वारपालों ने सुदामा को रोक दिया। लेकिन सुदामा ने कहा कि वे श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र हैं। जब श्रीकृष्ण को यह खबर मिली, तो वे नंगे पैर दौड़ते हुए आए और सुदामा को गले से लगा लिया।

श्रीकृष्ण ने सुदामा से पूछा कि वे उनके लिए क्या उपहार लाए हैं। सुदामा ने उन्हें कच्चा चिवड़ा दिया। श्रीकृष्ण ने बड़े प्रेम से वह चिवड़ा खाया। बिना किसी सहायता की बात किए, सुदामा वापस लौट आए।

वहीं घर को लौटते समय सुदामा सोच रहे थे कि वह अपनी पत्नी को क्या बताएंगे। लेकिन जब वह अपने घर पहुंचे, तो देखा कि उनकी टूटी-फूटी झोपड़ी अब एक सुंदर महल बन चुकी है। उनकी पत्नी ने बताया कि यह सब श्रीकृष्ण की कृपा से हुआ है। सुदामा की आंखों में आंसू आ गए। इससे साबित होता है कि सच्चा मित्र बिना कुछ कहे ही हमारे दिल की बात समझ लेता है।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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