अनुकंपा नियुक्ति पर बड़ा अपडेट, हाई कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, 8 हफ्ते में मिलेगा लाभ

Pooja Khodani
Published on -
HIGH COURT

रांची, डेस्क रिपोर्ट। झारखंड हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति पर अहम फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट का कहना है कि विवाहित पुत्री अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने की हकदार होगी। यदि कोई विवाहित महिला मृतक पर पूरी तरह आश्रित है तो उसे अनुकंपा पर नौकरी मिलनी चाहिए। विवाहित को नौकरी नहीं देना लिंगभेद के दायरे में आता है।हाई कोर्ट ने सभी प्रक्रिया पूरी कर आठ सप्ताह में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति करने का निर्देश दिया।

कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए बड़ी खबर, ये होंगे चार्जशीट, राज्य सरकार ने जारी किया आदेश

यह पूरा मामला झारखंड ऊर्जा विकास निगम में नियुक्ति का है। इस संबंध में रीता गिरि ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें बताया गया था कि प्रार्थी की मां झारखंड ऊर्जा विकास निगम में स्थायी कर्मचारी थीं और वह अपनी माता पर पूरी तरह से आश्रित थीं, लेकिन उनका निधन 23 जून 2012 को हो गया था, इसके बाद उन्होंने 22 अक्टूबर 2013 को अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था। आवेदन जांच में पता चला कि प्रार्थी अविवाहित है और उनके भाईयों को अनुकंपा पर नियुक्त किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।

इसके चार साल बाद अनुकंपा कमेटी के समक्ष प्रार्थी का मामला रखा गया। इस बीच प्रार्थी की शादी हो गई। इसके बाद अनुकंपा कमेटी ने विवाहित होने का आधार बताते हुए अनुकंपा पर नियुक्ति करने से इन्कार कर दिया।  ऊर्जा विकास निगम की ओर से बताया गया कि विवाहित लड़की को अनुकंपा पर नियुक्त करने का प्रविधान नहीं है, इसलिए प्रार्थी का आवेदन खारिज किया गया है।

MP News: लापरवाही पर एक्शन, 12 कर्मचारी निलंबित, 12 शिक्षकों का वेतन रोका, 2 की सेवा समाप्त

इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा और  झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डा. एसएन पाठक की पीठ ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि विवाहित लड़की भी अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति पाने की हकदार हैं। यदि कोई विवाहित महिला मृतक पर पूरी तरह आश्रित है तो उसे अनुकंपा पर नौकरी मिलनी चाहिए। विवाहित को नौकरी नहीं देना लिंगभेद के दायरे में आता है। अदालत ने प्रार्थी को 8 सप्ताह में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति करने का निर्देश दिया है।


About Author
Pooja Khodani

Pooja Khodani

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

Other Latest News