हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, रिटायरमेंट एज बढ़ाने पर दिया ये आदेश, राज्य सरकार से मांगा जवाब

Pooja Khodani
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प्रयागराज, डेस्क रिपोर्ट। उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाई कोर्ट से विश्वविद्यालयों से संबद्ध डिग्री कॉलेजों के अध्यापकों को बड़ा झटका है। हाईकोर्ट ने अध्यापकों की रिटायरमेंट की उम्र 62 से 65 वर्ष करने के आदेश पर रोक लगा दी है और पेटिशनर और 21 अन्य अध्यापकों से 2 हफ्ते में जवाब मांगा है।वही राज्य सरकार को भी चार हफ्ते में प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है। अगली सुनवाई 11 अगसत को होगी।

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दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने राज्य सरकार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के रेग्यूलेशन के अनुसार 3 माह में फैसले लेने का निर्देश दिया था, जिसकी वैधता को विशेष अपील में चुनौती दी गई थी।इस पर राज्य सरकार का कहना था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 2010 मे रेग्यूलेशन संशोधित किया और अध्यापकों की रिटायरमेंट उम्र 65 साल कर दी, जिसे राज्य सरकार ने 31 दिसंबर,2010 को आंशिक रूप से लागू किया है, लेकिन जब तक विश्वविद्यालय अपनी परिनियमावली (Statutes) संशोधित नहीं कर लेते इसका लाभ उच्च शिक्षण संस्थाओं के अध्यापकों को नहीं मिल सकता।

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इस पर हाई कोर्ट के जस्टिस सुनीता अग्रवाल तथा जस्टिस विक्रम डी चौहान की खंड पीठ ने राज्य सरकार को बड़ी राहत देते हुए डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों की रिटायरमेंट उम्र को 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने के आदेश पर रोक लगा दी है।वही हाई कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले चंद्र मोहन ओझा व 21 अन्य अध्यापकों से दो हफ्ते में जवाब मांगा है और राज्य सरकार को उसके बाद चार हफ्ते में प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है।अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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