शिमला, डेस्क रिपोर्ट। हिमाचल प्रदेश की हाई कोर्ट ने एक बार फिर कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने वर्ष 2003 के बाद नियमित होने वाले कर्मचारी को 3 मंहीने के अंदर जीपीएफ नंबर देने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने मितर देव ने यह फैसला सुनाया है।
दरअसल, दरअसल, वर्ष 2006 में राज्य सरकार ने नियमों मेें संशोधन किया था कि जिन कर्मचारियों की सेवाएं 15 मई 2003 के बाद नियमित की गई है, वे पुरानी पेंशन के हकदार नहीं है। उन्हें अंशदायी पेंशन योजना के तहत पेंशन का लाभ दिया जाएगाइसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि याचिकाकर्ता वर्ष 1991 में दैनिक वेतन भोगी के तौर पर वन विभाग करसोग के तैनात हुआ था। पहली जनवरी, 2002 से उसे वर्क चार्ज प्रदान किया गया। उसकी सेवाएं वर्ष 2006 से नियमित की गई, ऐसे में वर्ष 2002 से उसके नियमितीकरण की अवधि पेंशन के लिए गिनी जानी चाहिए।
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इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को पेंशन का लाभ न दिया जाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का सरासर उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि वर्कचार्ज से नियमितीकरण की अवधि पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ के लिए गिनी जाएगी। प्रदेश हाई कोर्ट ने वर्कचार्ज सेवा अवधि को जीपीएफ नंबर देने व पेंशन के लिए आंकने के आदेश जारी किए। न्यायाधीश सत्येन वैद्य की एकल पीठ ने मितर देव को तीन महीनों के भीतर GPF नंबर दिया जाए। साथ ही कहा कि जब वर्कचार्ज की अवधि पेंशन के लाभ दिए जाने के लिए गिना जाएगा तो स्वाभाविक है कि उसकी सेवाएं पेंशन नियम से शासित होगी। वही याचिकाकर्ता को अंशदायी पेंशन योजना के अंतर्गत लाने वाले विभाग के आदेश को खारिज कर दिया।