Employees, Supreme court on part time employees : लाखों कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए इस फैसले का सीधा असर कर्मचारियों के सेवा सहित उनके वेतन पर पड़ेगा। वहीं राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के निर्णय पर अपनी मुहर लगाई है। ऐसे में विभिन्न विभागों में कार्यरत अंशकालीन कर्मचारियों को दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का दर्जा प्राप्त होगा।
अंशकालीन कर्मचारियों के लिए क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला ?
हिमाचल राज्य के विभिन्न विभागों में अंशकालीन कर्मचारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इसके तहत वैसे अंशकालीन कर्मचारी, जिन्होंने अपने 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है। उन्हें दैनिक वेतन भोगी का दर्जा मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही हिमाचल हाईकोर्ट के निर्णय पर अपनी मुहर लगाई है।
हाई कोर्ट का क्या है फैसला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ द्वारा वर्ष 2004 की नीति के तहत पूर्व व्यापी प्रभाव से अंशकालीन कर्मचारियों को दैनिक वेतन भोगी का दर्जा देने का निर्णय सुनाया गया था। वही हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने दलील दी की जब सरकार ने वर्ष 2004 में ही 10 वर्षों की अंशकालीन सेवा के बाद दैनिक वेतन भोगी कर दिए जाने का फैसला लिया था तो इसमें इसका लाभ पूर्व व्यापी प्रभाव से नहीं दिया जा सकता। जिसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार की इस दलील को नकार दिया था और अपने निर्णय में कहा था कि राज्य सरकार ने अंशकालीन कर्मचारियों को 10 वर्ष की सेवा के बाद दैनिक वेतन भोगी का दर्जा देने का निर्णय लिया। इसका मतलब यह होता है कि जो भी अंशकालीन कर्मचारी 10 साल का सेवाकाल पूरा करेगा, वह दैनिक वेतन भोगी का दर्जा पाने का हकदार है।
हाई कोर्ट के निर्णय को मिली चुनौती
राज्य सरकार बनाम गिरधारी लाल के मामले में 2022 को हुई इस निर्णय के बाद राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इस निर्णय को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के न्याय मूर्ति जी के माहेश्वरी और विश्वनाथन ने हाई कोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर मोहर लगाई है।
क्या है मामला ?
गिरधारी लाल को विभाग द्वारा 16 वर्षों के बाद 17 जुलाई 2004 को दैनिक वेतन भोगी का दर्जा दिया गया था जबकि वह वर्ष 1988 से अंशकालीन कर्मचारी के तौर पर आबकारी और कराधान विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे थे। ट्रिब्यूनल द्वारा 10 वर्ष की सेवा के बाद पहली अप्रैल 1998 से दैनिक वेतन भोगी और पहले अप्रैल 2006 से उन्हें वर्क चार्ज स्टेटस का दर्जा देने के आदेश दिए गए थे। ट्रिब्यूनल के आदेश पर सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि सरकार ने अंशकालीन कर्मचारियों को लाभ देने के लिए नीति बनाई है। जिसके लिए पूर्व व्यापी प्रभाव से इसे उपलब्ध कराया जा सकता है।
अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद सभी विभागों के ऐसे अंशकालीन कर्मचारी, जिन्होंने अपने 10 वर्ष की अंशकालीन सेवा पूरी कर ली है। वह दैनिक वेतन भोगी का दर्जा पाने की पात्रता रखेंगे और उन्हें राज्य सरकार द्वारा इसका लाभ उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही उनके वेतन में भी बड़ी वृद्धि रिकॉर्ड की जाएगी।