Blood Cancer: ब्लड कैंसर एक गंभीर बीमारी है। जिसके इलाज के लिए सरकार की तरफ से स्वेदेशी तकनीक काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी सेल थेरेपी की इजाजत मिली थी। वहीं कुछ महीनों बाद देश के 15 अस्पतालों को इस थेरेपी का उपयोग करने की इजाजत दे दी गई है। वहीं अगले एक साल में 1 हजार ब्लड कैंसर से जुड़े मरीजों का इलाज करने का लक्ष्य रखा गया है। आपको बता दें दो मरीजों ने इस थेरेपी के जरिए इलाज कराने के लिए पंजीकरण भी करा लिया है। वहीं इस थेरेपी को उत्तर भारत के लिए मैक्स हेल्थकेयर के साथ समझौता किया गया है।
12 अक्टूबर को मिली थी मंजूरी
गौरतलब है कि काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी सेल थेरेपी का परीक्षण केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने 12 अक्टूबर को किया था। जिसके बाद इसे देश के विभिन्न अस्पतालों में उपयोग के लिए इजाजत दे दी गई थी। जिसके शनिवार को देश के अलग-अलग 15 अस्पतालों में उपयोग के लिए दे दी गई है।
इस तरह होगा इलाज
बता दें ब्लड कैंसर में उपयोग होने वाली यह स्वदेशी तकनीक मरीजों के प्रतिरक्षा कोशिका (Immune Cell) पर आधारति होगी। जिसमें मरीजों के प्रतिरक्षा कोशिका को ले लिया जाता है। इसके बाद इसे प्रयोगशाला में आनुवांशिक रूप से तैयार किया जाएगा। सरल भाषा में, मरीजों की कोशिका को कैंसर से लड़ने लायक बनाया जाएगा। फिर उसे मरीजों के शरीर में डाल दिया जाएगा। बता दें वैज्ञानिकों ने 80 प्रतिशत मामलों में इस तकनीक से कैंसर से मुक्ति पाने में सफलता प्राप्त की है।
IIT मुंबई ने विकसित की यह तकनीक
आपको बता दें इस स्वदेशी तकनीक को IIT मुंबई के शोधकर्ताओं ने विकसित की है। साल 2018 में IIT मुंबई के शोधकर्ताओं ने कैंशर के खतरे को मद्देनजर लिम्फोमा और ल्यूकेमिया ब्लड कैंसर पर शोध शुरू की थी। जिसे 2021 में परीक्षण के लिए भेजा गया था। जहां टाटा कैंसर अस्पताल, मुंबई के अलावा कई बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों ने इसे 80 प्रतिशत असरदार पाया है।
इन देशों में हैं ये तकनीक
काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी सेल थेरेपी तकनीक विश्व के पांच देशों में पाई जाती है। जिसमें पहला देश अमेरिका है। वहीं इसके अलावा भारत, जर्मनी, चीन और स्पेन है। बता दें इस तकनीक के जरिए इलाज कराने में लगभग 30 लाख से लेकर 35 लाख तक का खर्चा आता है।