अमरनाथ यात्रा में इस बार जलेबी की नो एंट्री

Gaurav Sharma
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इन्दौर डेस्क रिपोर्ट। विश्व ख्याति प्राप्त अमरनाथ की यात्रा पर इस बार श्रद्धालु जलेबी नहीं खा पाएंगे। दरअसल अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने यात्रियों के लिए जो खाद्य पदार्थों की लिस्ट जारी की है उसमें जलेबी गायब है। हालांकि इंदौर का पोहा इस यात्रा में जरूर खाने को मिलेगा।

विश्व प्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा इस बार 30 जून से शुरू हो रही है। इस बार यह यात्रा 43 दिन चलेगी। यात्रियों की सेहत को ध्यान रखते हुए अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने इस बार यात्रा मार्ग में लगने वाले लंगर और फूड स्टॉल पर फास्ट फूड और तले पदार्थों पर बैन लगा दिया है। धूम्रपान पर भी सख्त रोक रहेगी। इस यात्रा में इंदौर के डेढ़ दर्जन से ज्यादा जत्थो सहित लगभग 7000 से ज्यादा निवासी जा रहे हैं।

इंदौर का मनकामेश्वर कांटाफोड मंदिर ट्रस्ट इस बार भी अपने हलवाई और कारीगर भेज रहा है जिनका 15 सदस्य दल ओम नमः शिवाय सेवा मंडल जालंधर द्वारा बालटाल मार्ग पर लगाई जाने वाले लंगर में सेवा देगा। इंदौर के लोगों ने 60000 लोगों के लिए भोजन सामग्री भेजी है जिसमें सभी दाल, मसाले, चावलर शक्कर, आटा, घी,तेल शामिल है। इंदौर का प्रसिद्ध पोहा भी लोगों को खाने को मिलेगा। लेकिन जलेबी को बाहर कर दिया गया है ताकि सेहत पर बुरा प्रभाव ना पड़े।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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