Famous Ram Mandir: देशभर में रामनवमी को लेकर अलग ही उत्साह और उल्लास देखने को मिलता है। रामनवमी का त्योहार भगवान श्री राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। साल 2024 में रामनवमी का त्योहार 17 अप्रैल को मनाया जाएगा। रामनवमी पर लोग अलग-अलग प्लान बनाते हैं वहीं कई लोग प्रभु श्री राम के मंदिरों में दर्शन करने का भी प्लान बनाते हैं। अगर आप भी इस बार रामनवमी पर प्रभु श्री राम की मंदिर में जाने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको बता दें कि भारत में एक ऐसा अनोखा राम मंदिर पाया जाता है, जहां आपको जरूर दर्शन करने चाहिए।
कोडंडा रामस्वामी मंदिर
कर्नाटक राज्य के तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित कोडंडा रामस्वामी मंदिर, भगवान राम को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य के दौरान 14 वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर इस बात के लिए प्रसिद्ध है कि यहां माता सीता, भगवान राम और लक्ष्मण से अलग खड़ी हैं। मंदिर में तीन गर्भगृह हैं, जिनमें से एक में भगवान राम, दूसरे में माता सीता और तीसरे में लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित है।
तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित यह अद्भुत मंदिर, भगवान राम को समर्पित है और क्षेत्र का सबसे बड़ा राम मंदिर है। यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुशिल्पीय शैली और होयसल मूर्तिकला के अद्भुत नमूनों के लिए जाना जाता है। होयसल मूर्तिकला शैली, कर्नाटक के दक्षिण क्षेत्र में विकसित हुई थी और यह अपनी जटिल विवरण, सुंदर मूर्तियों और आकर्षक नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर होयसल काल की शिल्पकारी का एक उत्तम उदाहरण है और यह निश्चित रूप से किसी भी आगंतुक को मंत्रमुग्ध कर देगा। मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में होयसल राजा विष्णुवर्धन द्वारा किया गया था। मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान राम की विशाल मूर्ति है। मंदिर में माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान और अन्य हिंदू देवी-देवताओं की भी मूर्तियां हैं। मंदिर के बाहरी भाग जटिल नक्काशी और मूर्तियों से सजा हुआ है। यह मंदिर एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है और हर साल हजारों भक्त यहां आते हैं।
प्रभु श्री राम ने की थी भगवान परशुराम की इच्छा पूरी
कोडंडा रामस्वामी मंदिर देश का पहला ऐसा मंदिर है जहां माता सीता भगवान राम के दाहिनी ओर विराजमान हैं। भगवान परशुराम एक प्राचीन ऋषि थे जिनका उल्लेख रामायण में भी आता है। माना जाता है कि उन्होंने भगवान राम को शस्त्र विद्या का प्रशिक्षण दिया था। भगवान राम ने भगवान परशुराम की इच्छा पूरी करने के लिए माता सीता को अपने दाहिनी ओर और लक्ष्मण को अपनी बायीं ओर बैठाया था।
यहां, जानें कैसे पहुंचे मंदिर
- यह मंदिर चिकमंगलूर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यदि आप केम्मनगुंडी से आ रहे हैं, तो आपको लगभग 66 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी।
- मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 275 से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
- आप बेंगलुरु, मैसूर, मंगलुरु या अन्य किसी बड़े शहर से बस या टैक्सी ले सकते हैं।
- निकटतम रेलवे स्टेशन भाकरपेट रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 8.2 किलोमीटर की दूरी पर है।
- आप बेंगलुरु, मैसूर, मंगलुरु या अन्य किसी बड़े शहर से ट्रेन ले सकते हैं।
- निकटतम हवाई अड्डा हुबली हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर है।
- आप बेंगलुरु, मुंबई, चेन्नई या अन्य किसी बड़े शहर से हवाई जहाज ले सकते हैं।
- मंदिर परिसर के अंदर एक धर्मशाला है। मंदिर के आसपास कई होटल और गेस्ट हाउस हैं।
- मंदिर सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। आरती सुबह 7 बजे और शाम 6 बजे की जाती है।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)