SALARY LIMIT HIKE : लाखों पीएफ खाताधारकों और कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है।23 जुलाई को केन्द्र की मोदी सरकार अपना बजट पेश करने जा रही है, ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण प्रोविडेंट फंड (PF) के तहत सैलरी लिमिट को बढ़ाने का ऐलान कर सकती है। इससे पीएफ अकाउंट और पेंशन खाते में अधिक रकम जाएगी। आखिरी बार प्रोविडेंट फंड के तहत सैलरी लिमिट में बदलाव 10 साल पहले 2013-14 में किया गया था।जब लिमिट को बढ़ाकर 15 हजार रुपये किया गया था।
श्रम मंत्रालय ने तैयार किया है प्रस्ताव
दरअसल, 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी 3.0 का पहला और अपना लगातार सातवां केंद्रीय बजट पेश करने जा रही है। इस बजट से हर वर्ग को बड़ी उम्मीद है।खास करके नौकरीपेशा पीएफ खाता धारकों को बजट में PF के तहत सैलरी लिमिट बढ़ने की उम्मीद है। अभी लिमिट 15000 है, संभावना है कि बजट में मोदी सरकार इस लिमिट को बढ़ाकर 25,000 रुपये तक सकती है। इसको लेकर श्रम और रोजगार मंत्रालय ने एक प्रपोजल भी तैयार किया है। अगर मंजूरी मिलती है तो कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन बढ़कर मिलेगी।
क्या है प्रोविडेंट फंड
पीएफ यानी प्रोविडेंट फंड एक सरकारी योजना है। इसका मकसद कर्मचारियों को वित्तीय तौर पर सशक्त बनाकर सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना है। अगर किसी कंपनी के पास 20 या इससे अधिक कर्मचारी हैं, तो उसे EPF में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। फिर मूल वेतन और DA समेत 15,000 रुपये महीना कमाने वाले वेतनभोगी कर्मचारियों को फंड में12 फीसदी का योगदान करना होता है, उनकी कंपनी भी इस फंड में बराबर ही योगदान करती है।कर्मचारी का योगदान पूरी तरह से PF में जाता है। वहीं, नियोक्ता यानी कंपनी या संगठन के 12% योगदान का 3.67% EPF और 8.33% EPS यानी एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम में जाता है।
कितनी बढ़ेगी PF लिमिट, क्या मिलेगा लाभ?
आखिरी बार बदलाव सितंबर 2014 को किया गया था, उसे समय लिमिट 6500 से बढ़ाकर 15 हजार रुपये की गई थी।खबर है कि इस बार श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने पीएफ लिमिट में 15000 से बढ़ाकर 25000 रुपये करने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि 15,000 रुपये से अधिक वेतन वाले कर्मचारियों के लिए PF का विकल्प चुनना स्वैच्छिक है। अगर सरकार आगामी बजट में मौजूदा लिमिट बढ़ाती है, तो इस योजना के तहत आने वाले नए कर्मचारियों को अपने सैलरी स्ट्रक्चर में कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है।पीएफ अकाउंट और पेंशन खाते में अधिक रकम जाएगी। अभी अधिकतर राज्यों में न्यूनतम मजदूरी 18,000 से 25,000 रुपये के बीच है। इस लिमिट को बढ़ाने से सरकार और निजी क्षेत्र दोनों पर भारी वित्तीय प्रभाव पड़ेगा।