अधिकारियों कर्मचारियों के लिए अपडेट, 2 अक्टूबर से पहले पूरा कर लें ये काम, वरना नहीं मिलेगी सैलरी, जारी हुए निर्देश

राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों को अपनी चल और अचल संपत्ति का ब्यौरा ऑनलाइन संपदा पोर्टल पर अपलोड करने के लिए 1 महीने का और वक्त दिया गया है। अबतक 2.50 लाख कर्मचारियों की संपत्ति का ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड नहीं हो पाया है, ऐसे में वेतन रोकने की तैयारी है।

Pooja Khodani
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UP Employees News: उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के लिए बड़ी खबर है।राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को एक और मौका दिया है। सरकार ने ब्यौरा देने की आखिरी तारीख को एक महीने के लिए बढ़ा दिया है।

अब कर्मचारी अधिकारी 2 अक्टूबर तक चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा देने का काम पूरा कर सकते है।इसमें आईएएस, पीसीएस, अन्य विभागों के अधिकारी और कर्मचारी सभी शामिल हैं। अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वालों में शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग , राजस्व विभाग के कर्मचारी शामिल है।अब मुख्य सचिव के ओर से जिन्होंने अपना ब्यौरा नहीं दिया है उनके वेतन रोकने के निर्देश दे दिए गए हैं।

अब 2 अक्टूबर तक हर हाल में देना होगा ब्यौरा

दरअसल, बीते दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने कर्मचारियों अधिकारियों से 31 अगस्त तक हर हाल में मानव संपदा पोर्टल पर चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा देने के निर्देश दिए थे लेकिन अबतक 846640 कर्मचारियों में से  केवल 602075 ने ही मानव संपदा पोर्टल ब्यौरा दिया, 2,44,565 का ब्यौरा अपलोड होना बाकी है, जिसके चलते विभाग ने उनकी सैलरी पर रोक लगा दी है। वही अब उन्हें 2 अक्टूबर तक पूरा डाटा अपलोड करने को कहा है।संपत्ति का ब्यौरा न देने वाले कार्मिकों का वेतन रोकने का आदेश पहले ही दिया जा चुका है। सभी विभागों को इसका अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।

इन विभागों के कर्मचारियों ने दिया संपत्ति ब्यौरा

जानकारी के मुताबिक, जिन विभागों ने अब तक संपत्ति का ब्यौरा दिया है, उनमें सैनिक कल्याण, टैक्सटाइल, खेल, ऊर्जा, कृषि और महिला कल्याण विभाग के कर्मचारी शामिल हैं लेकिन शिक्षा विभाग, हेल्थ और औद्योगिक और राजस्व विभाग के कर्मचारियों में अब भी कईयों का नाम बाकी है।अब मुख्य सचिव के ओर से जिन्होंने अपना ब्यौरा नहीं दिया है उनके वेतन रोकने के निर्देश दे दिए गए हैं।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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