मंदिर में चबूतरे ग्रेनाइट पत्थर से बन रहे हैं। जिसका काम इस साल ही फरवरी में शुरू हुआ था। उम्मीद है कि इसका काम अगस्त तक पूरा हो जायेगा। यह पत्थर कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से खरीदे जा रहे हैं। इस प्लिंथ को बनाने में लगभग 17,000 पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। रेल मंत्रालय के अधीन काम करने वाला भारतीय कंटेनर निगम, ग्रेनाइट को अयोध्या तक पहुंचा रहा है।
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अधिकारी मिश्रा ने बताया कि मंदिर के अधिरचना पर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर पत्थर की नक्काशी की जाएगी। उन्होंने कहा कि नक्काशी का काम पहले ही शुरू हो चुका है। अब तक, लगभग 75,000 सीएफटी (घन फुट) पत्थर की नक्काशी पूरी हो चुकी है, जबकि अकेले अधिरचना के लिए कुल आवश्यकता 4.45 लाख सीएफटी पत्थर है।
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समिति के अनुसार तीन मंजिला मंदिर का काम तय कार्यक्रम के मुताबिक चल रहा है। निचले प्लिंथ के डिजाइन और ड्राइंग को भी अंतिम रूप दिया गया है – सादे सीमेंट और कंक्रीट के साथ का ग्रेनाइट और मिर्जापुर पत्थर की परतों का उपयोग करके जमीन के नीचे बनाया जायेगा जिसका काम 1 जून तक पूरा हो जायेगा। योजना के तहत परकोटा (परिधि की दीवार) की नींव का डिजाइन और ड्राइंग भी तकनीकी जांच के अंतिम चरण में है।
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तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या के साथ मॉड्यूलर जोड़ के प्रावधान के साथ अयोध्या में एक तीर्थ सुविधा केंद्र भी बनाया जा रहा है। तदनुसार, परिसर के भीतर उपयोगिता सेवाओं की भी योजना बनाई गई है।