अब उठी NCERT से सती प्रथा अध्याय को हटाने की मांग, पीएमओ, एजुकेशन मिनिस्ट्री एवं एनसीईआरटी को भेजा गया पत्र

Amit Sengar
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नई दिल्ली,अमित सेंगर। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) समय-समय पर अपने द्वारा छापी गई किताबों की मौलिकता को लेकर सवालों से घिरा देखा गया है। एनसीईआरटी की किताबों में छपे तथ्य एवं घटनाओं की प्रमाणिकता पर कई बार सवाल भी उठे हैं, और महत्वपूर्ण बात है कि अधिकतर एनसीआरटी इनकी व्याख्या प्रस्तुत करने में नाकाम भी रहा है।

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बता दें कि कक्षा 8वीं की एनसीआरटी हमारा इतिहास के अध्याय 8 महिलाएं जाती एवं सुधार के प्रारंभ में सती जैसी कुप्रथा का वर्णन मिलता है, एनसीआरटी के अनुसार भारत देश के कुछ भागों में विधवाओं से ये उम्मीद की जाती थी, के वे अपने पति की चिता के साथ ही जिन्दा जल जाएँ, इस तरह स्वेच्छा से या जबरदस्ती मार दी गई, महिलाओ को “सती” कहकर महिमामंडित किया जाता था, RTI एक्टिविस्ट विवेक पांडेय के द्वारा एनसीआरटी को RTI दायर की गई थी। जिसमें सती प्रथा से संबंधित प्रमाण मांगे गये थे, किन्तु NCERT के जवाब से यह पता लगता है की उनके पास भारत देश में सती जैसी कुप्रथा के होने के कोई भी साक्ष्य नही है।

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यदि साक्ष्य नही है तब यह क्यों पढाई जाती है सती जैसी कुप्रथा ?

NCERT द्वारा RTI में मिले जवाब को आधार बनाते हुए एक पत्र भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, शिक्षा मन्त्रालय एवं एनसीआरटी को RTI एक्टिविस्ट विवेक पांडेय के द्वारा पत्र भेजा गया है, जिसमें बिना प्रमाणों के आधार पर पढाई जा रही इस कुप्रथा को एनसीआरटी किताब से हटाने की मांग की गई है, हमने बिना प्रमाणों के आधार पर कई मिथ्या लेख अपनी विद्यालय के दिनों में पढ़ें है पर अब प्रमाण रहित अध्यायों को पाठ्यक्रम से हटा देना चाहिए ताकि आने वाले समय पर ऐसे प्रमाण विहीन कुप्रथा को कोई भी छात्र ना पड़ें।

अब उठी NCERT से सती प्रथा अध्याय को हटाने की मांग, पीएमओ, एजुकेशन मिनिस्ट्री एवं एनसीईआरटी को भेजा गया पत्र

जौहर से जोड़ी जाती है, प्रथा पर वह सती प्रथा कतई नही है

NCERT में सती प्रथा को राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में होने वाले जौहर से जोड़कर दिखाने का प्रयास करता है। तथ्य यह है कि जौहर रानियों एवं अन्य महिलाओं द्वारा एक रक्षात्मक रणनीति के तहत किया जाता था। इस्लामी आक्रमणों के दौरान बलात्कार जैसे अपराधों से बचने के लिए महिलाएँ यह कदम उठाती थीं, परंतु इसका सती प्रथा से कोई संबंध नहीं है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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