Hindenburg Research ने हाल ही में अपनी नई रिपोर्ट में SEBI की चेयरपर्सन माधबी बूच पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे वित्तीय और नियामक क्षेत्र में हलचल मच गई है। रिपोर्ट के अनुसार, SEBI द्वारा अडानी ग्रुप के खिलाफ की गई जांच को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं। दरअसल इस रिपोर्ट में कहा गया है कि माधबी बूच का अडानी ग्रुप से संभावित संबंध हो सकता है, जो जांच की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
रिपोर्ट में दावा
दरअसल Hindenburg Research की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि SEBI की चेयरपर्सन माधबी बूच एक ऐसी कंपनी की भागीदार रही हैं, जो अडानी ग्रुप से जुड़ी हुई है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि माधबी बूच ने अपने पति के नाम पर अपने शेयर ट्रांसफर कर दिए। विशेष रूप से, रिपोर्ट के अनुसार, माधबी बूच ने अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक SEBI की होलटाइम सदस्य के रूप में कार्य किया और SEBI का पद संभालने से दो हफ्ते पहले अपने शेयर एक कंसल्टिंग फर्म, अगोरा पार्टनर्स, में ट्रांसफर किए। यह फर्म सिंगापुर में स्थित है और चेयरपर्सन ने इसके 100% हिस्सेदारी को अपने पति के नाम ट्रांसफर किया।
रिपोर्ट में SEBI द्वारा अडानी ग्रुप के खिलाफ की गई जांच की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए गए हैं। Hindenburg Research के अनुसार, चेयरपर्सन और अडानी ग्रुप के बीच संभावित संबंधों के चलते अब तक कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे यह आभास होता है कि जांच में किसी प्रकार का पक्षपात हो सकता है।
वहीं रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद से बाजार में अटकलों का दौर शुरू हो गया है और निवेशकों के बीच चिंता की लहर फैल गई है। दरअसल SEBI की भूमिका और जांच की पारदर्शिता पर उठे सवालों का बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह अब देखने की बात होगी। रिपोर्ट के परिणामों और संबंधित सार्वजनिक तथा नियामक प्रतिक्रियाओं के बाद ही स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट होगी।