राजीव गांधी हत्या मामला : 32 साल से जेल में बंद इस कैदी को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत

Amit Sengar
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या (rajiv gandhi murder case) के दोषी एजी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी गई है उसकी जल्द ही जेल से रिहाई होगी बता दें कि उसे उम्रकैद हुई थी वह इस मामले में ए जी पेरारिवलन पिछले 32 साल से जेल में सजा काट चुके है। अदालत ने उसे अच्छे आचरण, शैक्षिक योग्यता और बीमारी के आधार पर जमानत दे दी।

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हम आपको बता दें कि ए जी पेरारिवलन ने अपनी याचिका में कहा कि तमिलनाडु सरकार उसकी रिहाई का आदेश दे चुकी है, लेकिन राज्यपाल और केंद्र सरकार इसे मंजूर नहीं कर रही। हालांकि, कोर्ट के इस फैसले का केंद्र सरकार ने विरोध किया।

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न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी इस याचिका में आरोपी ने एमडीएमए जांच पूरी होने तक इस मामले में उम्रकैद की सजा को स्थगित करने की मांग की गई थी कोर्ट ने उन दलीलों का संज्ञान लेते हुए उम्रकैद की सजा काट रहे ए जी पेरारिवलन की जमानत को मंजूरी दे दी। राजीव गांधी की हत्या के मामले में मई 1999 के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों पेरारीवलन, मुरुगन,संथम और नलिनी की मौत की सजा को बरकरार रखा था इसके बाद 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को सुनवाई करते हुए राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी पेरारीवलन की मौत की सजा को दो अन्य कैदियों संथम और मुरुगन के साथ उम्रकैद में बदल दिया था उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में 11 साल की देरी के आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का निर्णय लिया था।

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गौरतलब है कि एजी पेरारिवलन राजीव गांधी हत्याकांड में सजा काट रहे चार दोषियों में से एक है। राजीव गांधी हत्याकांड में पेरारिवलन के अलावा संतन, मुरुगन और नलिनी दोषी हैं। मुरुगन नलिनी का पति है। तमिलनाडु के श्रीपेरम्बुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान 21 मई 1991 में लिट्टे केआत्मघाती हमले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई थी।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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