नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। 11 मार्च को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $9.646 बिलियन घटकर $622.275 बिलियन हो गया है। जो भारतीय रिजर्व बैंक की लगभग दो वर्षों में सबसे तेज गिरावट है। दरअसल आरबीआई ने रुपये के मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए डॉलर की भारी बिक्री की है। आरबीआई के साप्ताहिक सांख्यिकीय पूरक के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, जो कि विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है, समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान 11.108 अरब डॉलर घटकर 554.359 अरब डॉलर रह गई है।
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अमेरिकी डॉलर के अलावा विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों रखे गए यूरो, यूके के पाउंड स्टर्लिंग और जापानी येन जैसी गैर-डॉलर मुद्राओं का भी मूल्यह्रास का प्रभाव इसमें शामिल है। देश की विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में यह तेज गिरावट है और रुपया भी अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रुपया 7 मार्च को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 77.02 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया था।
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बाजार विश्लेषकों के मुताबिक, आरबीआई ने डॉलर बेचकर मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया। भारतीय मुद्रा में और कमजोरी को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक ने सप्ताह के दौरान एक दिन में $ 1 बिलियन की बिक्री का अनुमान लगाया है। इस साल 11 मार्च को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट करीब दो साल में सबसे तेज थी। 20 मार्च, 2020 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 11.9 अरब डॉलर की गिरावट आई थी।
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत के विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) का मूल्य 53 मिलियन डॉलर घटकर 18.928 बिलियन डॉलर हो गया। आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि 11 मार्च को जब सप्ताह ख़त्म हुआ था उस दौरान आईएमएफ में भारत की आरक्षित स्थिति 70 लाख डॉलर से घटकर 5.146 अरब डॉलर हो गई थी।
हालांकि, सप्ताह के दौरान सोने की कीमत में तेज वृद्धि के अनुरूप सोने के भंडार का मूल्य तेजी से बढ़ा। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सोने के भंडार का मूल्य 1.522 अरब डॉलर बढ़कर 43.842 अरब डॉलर हो गया।