नई दिल्ली| पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा मुद्दा रहा राफेल विमान सौदा को लेकर मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है| इस डील पर उठाए जा रहे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सौदे पर कोई संदेह नहीं है। राफेल की गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं हैं| इसके साथ ही कोर्ट ने सौदे को लेकर दायर की गई सभी जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
दरअसल, पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस लगातार राफेल मुद्दा को उछाल रही थी और मोदी सरकार पर सवाल उठा रही थी| यहां तक कि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में राहुल गाँधी ने हर रैली सभाओं में राफेल का मुद्दा छेड़ा और मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए| अब सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद एक बार फिर बहस शुरू हो गई है| सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे को बिल्कुल ठीक बताया है और इससे जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कई अहम टिप्पणियां कीं|
चीफ जस्टिस ने कहा कि ऑफसेट पार्टनर की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है. किसी व्यक्ति के लिए निजी धारणा के आधार पर डिफेंस डील को निशाने पर नहीं लिया जा सकता है| राफेल सौदे के दाम, प्रक्रिया और ऑफसेट पार्टनर किसी भी मुद्दे पर हमें कोई दिक्कत नहीं है| इस फैसले को लिखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा और सौदे के नियम को ध्यान में रखा. मूल्य और जरूरतें भी हमारे ध्यान में रही थीं| शीर्ष अदालत ने कहा कि कीमतों के तुलनात्मक विवरण पर फैसला लेना अदालत का काम नहीं है|
राफेल डील में कथित घोटाले के आरोप में मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने क्लीनचिट दे दी है| इसके बाद बीजेपी आक्रामक हो गई है| राजनाथ सिंह ने जहां राहुल गांधी से माफी मांगने को कहा है, वहीं गोवा सीएम और पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने इसे सत्य की जीत बताया है। वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ट्वीट कर लिख है राफेल को अलादीन का चिराग समझकर कांग्रेस फिर गुमराह करने वाली पार्टी साबित हुई। जिसे उसने चुनाव में मुद्दा बनाने की असफल कोशिश की थी, उसे फ्रांस द्वारा ठीक बताने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी संतोष व्यक्त कर दिया है। अब कांग्रेस नया झूठ बोलेगी, पकड़े जाने तक।
बता दें कि केंद्र सरकार ने फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे का बचाव किया था और इनकी कीमत से संबंधित जानकारी सार्वजनिक करने की मांग का विरोध किया था| भारत ने करीब 58,000 करोड़ रुपए की कीमत से 36 राफेल विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया है ताकि भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में सुधार किया जा सके| मोदी सरकार ने सितंबर 2016 में 7.87 अरब यूरो (लगभग 59000 करोड़ रुपये) के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। कांग्रेस इस सौदे में भारी अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार प्रत्येक विमान 1,670 करोड़ रुपये में खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार ने प्रति विमान 526 करोड़ रुपये कीमत तय की थी। पार्टी ने सरकार से जवाब मांगा है कि क्यों सरकारी एयरोस्पेस कंपनी एचएएल को इस सौदे में शामिल नहीं किया गया।