Remo D’Souza को पड़ा दिल का दौरा, कोकिलाबेन धीरूभाई अस्पताल में भर्ती, इलाज जारी

भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। बॉलीवुड के मशहूर कोरियोग्राफर और फिल्म निर्देशक रियो डिसूजा (Remo D’Souza) को शुक्रवार को हर्ट आ गया है, जिसके बाद उन्हें तुरंत मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अस्पताल (Kokilaben Dhirubhai Hospital) में भर्ती कराया गया है। रिपोर्ट की माने तो रेमो डिसूजा (Remo D’Souza) अभी आईसीयू में एडमिट है, जहां उनका इलाज जारी है। हॉस्पिटल में उनके परिवार के लोग उनके साथ मौजूद हैं। रेमो डिसूजा (Remo D’Souza) ने बॉलीवुड की कई फिल्मों के गानों को कोरियोग्राफ किया है। साथ ही वह कई सफल फिल्मों का निर्देशन भी कर चुके हैं। उनकी आखिरी फिल्म एबीसीडी 2 थी, जिसमें श्रद्धा कपूर और वरुण धवन ने अहम भूमिका निभाई थी। रिमो डिसूजा (Remo D’Souza) टेलीविजन के डांस रियलिटी शो में भी जज रहे चुके हैं।

बता दें कि रेमो डिसूजा (Remo D’Souza) एक सेलिब्रिटी कोरियोग्राफर (Celebrity Choreographer)  है, जिन्होंने बॉलीवुड की कई बड़ी फिल्मों में कोरियोग्राफी की है। साल 1995 में उन्होंने बतौर कोरियोग्राफर (Choreographer) अपने करियर की शुरुआत की थी, जिसके बाद वह अभी तक कई धमाकेदार फिल्मों के गाने को कोरियोग्राफ (Choreograph) कर चुके हैं। रेमो डिसूजा (Remo D’Souza) ने स्टूडेंट ऑफ द ईयर, यह जवानी है दीवानी, तहजीब, बाजीराव मस्तानी, एबीसीडी 2 जैसी फिल्मों के लिए अवार्ड भी जीता है। रेमो डिसूजा कोरियोग्राफी के साथ-साथ निर्देशन के क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं। उनके द्वारा रेस 3, फ्लाइंग जट्ट, एबीसीडी, एबीसीडी 2, फालतू, फ्री डांस जैसी फिल्मों को डायरेक्ट किया गया है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।