SC-ST Reservation: सुप्रीम कोर्ट का SC-ST रिजर्वेशन में “कोटे में कोटा” को लेकर बड़ा फैसला, आरक्षण में उप-वर्गीकरण को दी मंजूरी

SC-ST Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है, दरअसल SC-ST आरक्षण में उप-वर्गीकरण को मंजूरी दी गई है, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह उप-वर्गीकरण संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन नहीं करता है।

Rishabh Namdev
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SC-ST Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को SC-ST आरक्षण में “कोटे में कोटा” यानी उप-वर्गीकरण को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। दरअसल इस फैसले में कोर्ट ने एससी/एसटी के भीतर उप-वर्गीकरण को बरकरार रखते हुए ईवी चिन्त्रैया केस के फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह उप-वर्गीकरण संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन नहीं करता है और आर्टिकल 15 और 16 के तहत SUB CLASS को कास्ट मानने में कोई बाधा नहीं डालता।

फैसले का प्रमुख बिंदु

जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, “एससी/एसटी वर्ग के केवल कुछ लोग ही आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं।” उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कैसे क्रीमी लेयर वाले वकीलों के अनुसूचित जाति के बच्चों को गांव में मैला ढोने वाले के बच्चों के समान रखना अनुचित होगा। कोर्ट ने कहा कि राज्य उप-वर्गीकरण बना सकते हैं, लेकिन उनके लिए 100% आरक्षण नहीं रख सकते।

ईवी चिन्त्रैया केस का फैसला पलटा

दरअसल इससे पहले, ईवी चिन्त्रैया केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी वर्ग के भीतर उप-वर्गीकरण करना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। लेकिन आज के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने इस विचार को खारिज कर दिया और उप-वर्गीकरण को संवैधानिक बताया।

फैसले के प्रमुख बिंदु

अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं:

सीजेआई ने कहा कि उप-वर्गीकरण अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि उपवर्गों को सूची से बाहर नहीं किया गया है। यह केवल आरक्षण का सही और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करता है।

वर्गों के भीतर विविधता:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एससी की पहचान करने के लिए उपयोग किए जाने वाले मानदंड से पता चलता है कि वर्गों के भीतर विविधता है। इसका मतलब है कि सभी उप-वर्गों को समान रूप से लाभ नहीं मिल पा रहा है।

अनुच्छेद 15 और 16:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 15 और 16 में ऐसा कुछ भी नहीं है जो राज्य को किसी जाति को उप-वर्गीकृत करने से रोकता हो। राज्यों को यह अधिकार है कि वे उप-वर्गीकरण कर सकें, ताकि आरक्षण का लाभ सही तरीके से वितरित हो सके।

मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य डेटा:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपवर्गीकरण के आधार को राज्यों द्वारा मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य डेटा द्वारा उचित ठहराया जाना चाहिए। राज्य अपनी इच्छानुसार कार्य नहीं कर सकते हैं, उन्हें ठोस प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे।

आरक्षण के बावजूद कठिनाई:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण के साथ भी, निचले ग्रेड को अपना व्यवसाय छोड़ने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यह बताता है कि सभी वर्गों को आरक्षण का सही लाभ नहीं मिल पा रहा है और उप-वर्गीकरण की आवश्यकता है।

ईवी चिन्नैया केस की त्रुटि:

जस्टिस गवई ने कहा कि ईवी चिन्नैया में मूल त्रुटि यह है कि यह इस समझ पर आगे बढ़ा कि अनुच्छेद 341 आरक्षण का आधार है। इस फैसले में यह समझ सही नहीं थी और इसे सुधारा गया है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एससी/एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण को लेकर एक महत्वपूर्ण दिशा में कदम है। यह फैसला उन वर्गों के लिए राहत लेकर आया है, जो आरक्षण का पूरा लाभ नहीं उठा पा रहे थे। अब राज्यों को उप-वर्गीकरण बनाने का अधिकार मिल गया है, जिससे आरक्षण का सही और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित हो सकेगा।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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