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Mon, Dec 15, 2025

‘कुछ देशों ने भारत पर कृषि बाजार खोलने का दबाव बनाया, लेकिन…’, शिवराज सिंह चौहान का अमेरिका पर तंज

Written by:Mini Pandey
शिवराज चौहान ने कहा कि पहले भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका से निम्न गुणवत्ता वाला पीएल-480 गेहूं खाने के लिए मजबूर किया जाता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।
‘कुछ देशों ने भारत पर कृषि बाजार खोलने का दबाव बनाया, लेकिन…’, शिवराज सिंह चौहान का अमेरिका पर तंज

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को कहा कि कुछ देश भारत पर अपने कृषि बाजार को पूरी तरह खोलने का दबाव डाल रहे थे, लेकिन आज भारत वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास के साथ खड़ा है। विदिशा में एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि बताया है और किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं होगा। भारत ने इस साल कृषि क्षेत्र में 3.7 प्रतिशत की रिकॉर्ड वृद्धि हासिल की, जिसके परिणामस्वरूप गेहूं, चावल और मक्का का उत्पादन अभूतपूर्व स्तर पर पहुंचा जिससे देश के खाद्य भंडार भरे हुए हैं।

शिवराज चौहान ने कहा कि पहले भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका से निम्न गुणवत्ता वाला पीएल-480 गेहूं खाने के लिए मजबूर किया जाता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। उन्होंने बताया कि भारत की जीडीपी में इस साल अप्रैल-जून तिमाही में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें कृषि क्षेत्र का सबसे बड़ा योगदान रहा। इसके साथ ही, उन्होंने किसानों के लिए छह सूत्री रणनीति की बात की जिसमें अधिक उत्पादन, कम लागत, उचित मूल्य, नुकसान की भरपाई, फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना शामिल है।

वैज्ञानिकों की टीमें

कृषि में विज्ञान के उपयोग पर जोर देते हुए चौहान ने कहा कि सरकार ने 2,170 वैज्ञानिकों की टीमें किसानों के खेतों पर भेजी हैं। आगामी रबी सीजन के लिए 3 अक्टूबर से ये टीमें खेतों का दौरा करेंगी और नई तकनीकों व उन्नत खेती के तरीकों की जानकारी साझा करेंगी ताकि उत्पादकता बढ़े और लागत कम हो। उन्होंने किसानों से स्वदेशी उत्पादों को अपनाने और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिए देशी कपड़े, खाद्य पदार्थ और दैनिक जरूरतों की वस्तुओं को खरीदने का आग्रह किया।

खरीदने के लिए मजबूर

कृषि निवेशों के दुरुपयोग पर चौहान ने कहा कि पहले डीलर किसानों को बिना जांचे-परखे कीटनाशक या उर्वरक खरीदने के लिए मजबूर करते थे। अब केवल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) या कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा प्रमाणित उत्पाद ही बेचे जाएंगे। नकली या अप्रभावी उत्पाद बेचने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी, कंपनियों के लाइसेंस रद्द होंगे और किसानों को मुआवजा दिया जाएगा।